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Hindi News महाराष्ट्र केंद्र सरकार को नए कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए: शिवसेना

केंद्र सरकार को नए कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए: शिवसेना

शिवसेना ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंदोलनरत किसानों की भावनाओं का सम्मान करने और नए विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने का आग्रह किया 

केंद्र सरकार को नए कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए: शिवसेना - India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO केंद्र सरकार को नए कृषि कानूनों को रद्द करना चाहिए: शिवसेना 

मुंबई: शिवसेना ने बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आंदोलनरत किसानों की भावनाओं का सम्मान करने और नए विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने का आग्रह किया और कहा कि ऐसा करने से उनका कद और बड़ा हो जाएगा। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में केंद्र सरकार पर उच्चतम न्यायालय का इस्तेमाल कर किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया गया। संपादकीय में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष केंद्र का यह दावा भी चौंकाने वाला है कि किसानों के प्रदर्शन में खालिस्तानी घुसे हुए हैं। उसमें यह आरोप लगाया गया, "यदि खालिस्तानियों ने विरोध प्रदर्शन में घुसपैठ की है, तो यह सरकार की ही विफलता है। सरकार विरोध को समाप्त नहीं करना चाहती है और आंदोलन को देशद्रोह का रंग देकर राजनीति करना चाहती है।" 

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को अगले आदेश तक नए कृषि कानूनों के लागू करने पर रोक लगा दी और दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदार्शन कर रहे किसानों की यूनियनों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध को हल करने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित करने का फैसला किया। संपादकीय में कहा गया कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बावजूद इस मुद्दे पर गतिरोध जारी है । किसान यूनियनों ने समिति के चार सदस्यों से बात करने से इनकार कर दिया क्योंकि उन्होंने पहले कथित रूप से कृषि कानूनों का समर्थन किया था। 

सामना में कहा गया, "प्रधानमंत्री मोदी को किसानों के विरोध और साहस का स्वागत करना चाहिए। उन्हें किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए कानूनों को खत्म कर देना चाहिए। मोदी का आज जितना बड़ा कद है, ऐसा करने से उनका कद और बड़ा हो जाएगा।" 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों की निर्धारित ट्रैक्टर रैली का जिक्र करते हुए संपादकीय में कहा गया कि अगर सरकार चाहती है कि स्थिति और न बिगड़े, तो किसानों की भावनाओं को समझने की जरूरत है। उसमें कहा गया कि इस प्रदर्शन में अब तक 60 से 65 किसानों की जान जा चुकी है और देश ने आजादी के बाद अब तक ऐसा अनुशासित आंदोलन नहीं देखा है।