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Hindi News महाराष्ट्र Uddhav vs Shinde: उद्धव गुट को झटका, SC ने कहा- चुनाव आयोग ही तय करेगा असली शिवसेना कौन?

Uddhav vs Shinde: उद्धव गुट को झटका, SC ने कहा- चुनाव आयोग ही तय करेगा असली शिवसेना कौन?

Uddhav vs Shinde: पीठ ने कहा कि हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी।

Uddhav vs Shinde- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Uddhav vs Shinde

Highlights

  • पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सुनाया फैसला
  • दावे पर फैसला करने से रोकने से SC का इनकार
  • 'चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं'

Uddhav vs Shinde: सुप्रीम कोर्ट ने आज मंगलवार को चुनाव आयोग को एकनाथ शिंदे गुट के असली शिवसेना होने के दावे पर फैसला करने से रोकने से इनकार कर दिया। जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा कि उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट के बीच शिवसेना में अंतर-पार्टी विवाद का फैसला करने के लिए चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी।

पीठ में जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हेमा कोहली और पी.एस. नरसिम्हा भी शामिल हैं। पीठ ने ठाकरे गुट की ओर से एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया कि चुनाव आयोग को मामले में तब तक आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जब तक कि शीर्ष अदालत शिवसेना विधायकों की अयोग्यता से संबंधित याचिका पर फैसला नहीं कर लेती।

शिंदे अयोग्य होने के बाद ED का रुख नहीं कर सकते-  अधिवक्ता 

पीठ ने कहा, "हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी।" ठाकरे गुट का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि शिंदे अयोग्य होने के बाद चुनाव आयोग का रुख नहीं कर सकते। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि केवल तथ्य का संदर्भ दिया गया है, यह एक संवैधानिक निकाय को यह तय करने से नहीं रोकता है कि क्या उसके पास कानून के तहत निर्णय लेने की शक्ति है।

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SC ने दोनों गुटों के वकीलों और चुनाव आयोग के वकील की दलीलें सुनीं

सिब्बल ने तर्क दिया कि शिंदे चुनाव आयोग में जाना चाहते हैं और कहते हैं कि उनका गुट राजनीतिक दल है, लेकिन इससे बहुत पहले इन कार्यवाही में पार्टी की उनकी सदस्यता सवालों के घेरे में है, जिसका फैसला पहले किया जाना है। ठाकरे गुट ने एकनाथ शिंदे-गुट की याचिका पर चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसमें एकनाथ शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने दोनों गुटों के वकीलों और चुनाव आयोग के वकील की दलीलें सुनीं।