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Hindi News राजस्थान इंडिया टीवी-CNX opinion poll: राजस्थान में स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा के सत्ता में लौटने के आसार

इंडिया टीवी-CNX opinion poll: राजस्थान में स्पष्ट बहुमत के साथ भाजपा के सत्ता में लौटने के आसार

इंडिया टीवी-सीएनएक्स के ओपिनियन पोल के नतीजों के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी राजस्थान में स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर सकती है। बीजेपी को कुल 115 सीटें मिलने के आसार हैं।

इंडिया टीवी-CNX opinion poll- India TV Hindi Image Source : इंडिया टीवी इंडिया टीवी-CNX opinion poll

नई दिल्ली: इस महीने होने जा रहे राजस्थान विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी 115 सीटें जीत कर स्पष्ट बहुमत के साथ सत्ता में लौट सकती है। इंडिय़ा टीवी-सीएनएक्स ओपिनियन पोल के दूसरे सर्वे में ये अनुमान लगाया गया है। ओपिनियन पोल के नतीजे आज न्यूज़ चैनल पर प्रसारित किये गये।

ओपिनियन पोल के मुताबिक, प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा को 200 सीटों वाली विधानसभा में 115 सीटों पर जीत हासिल हो सकती है। जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस 80 सीटों पर सिमट सकती है। पांच साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को 73 सीटें और कांग्रेस को 100 सीटें मिली थीं। इस बार निर्दलीयों और छोटी पार्टियों को सिर्फ 5 सीटें मिल सकती है, जबकि 2018 में इन्होने 27 सीटों पर जीत हासिल की थी।   

ओपिनियन पोल में वोट शेयर के अनुमान के मुताबिक, भाजपा को 45 प्रतिशत, कांग्रेस को 42 प्रतिशत और अन्य को 13 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। 2018 के चुनाव में भाजपा को 38.77 प्रतिशत, कांग्रेस को 39.3 प्रतिशत और अन्य को 21.93 प्रतिशत वोट मिले थे।

क्षेत्रवार सीटों का अनुमान

इंडिया टीवी-सीएनएक्स पोल में क्षेत्रवार सीटों का अनुमान इस प्रकार है –

  1. जयपुर-धौलपुर की 48 सीटों में से भाजपा को 26 सीटें मिल सकती है, जबकि कांग्रेस को 20 और अन्य को दो सीटें मिल सकती है।
  2. टोंक-कोटा की 24 सीटों में से, भाजपा को 13 सीटें और कांग्रेस को बाकी 11 सीटें मिल सकती है।
  3. मारवाड़ की 56 सीटों में से, भाजपा को 34 सीटें मिल सकती है, जबकि कांग्रेस को 20 सीटें और अन्य को दो सीटें मिल सकती है।  
  4. मेवाड़ की 48 सीटों में से भाजपा को 31 सीटें मिल सकती है, जबकि कांग्रेस को 16 सीटें और अन्य को एक सीट मिल सकती है।
  5. शेखावाटी की 24 सीटों में से, भाजपा को 11 और कांग्रेस को 13 सीटें मिल सकती हैं।

मुख्यमंत्री की रेस में कौन हैं आगे

ओपिनियन पोल में सीएम पद के लिए 34 प्रतिशत वोटरों ने अशोक गहलोत को, और 29 प्रतिशत ने वसुंधरा राजे को पसंद किया। सचिन पायलट को 10 प्रतिशत मिले, जबकि गजेंद्र सिंह शेखावत को 8 प्रतिशत, राज्यवर्धन सिंह राठौर को 7 प्रतिशत, और दीया कुमारी को 5 प्रतिशत मत मिले।

ओपनियन पोल के कुछ खास नतीजे

  • 52 प्रतिशत वोटरों ने कहा कि वसुंधरा राजे को सीएम का चेहरा न बनाने का बीजेपी आला कमान का फैसला सही है, लेकिन 45 प्रतिशत ने इसे गलत बताया।
  • 61 प्रतिशत वोटरों ने राजस्थान में कानून और व्यवस्था की स्थिति को खराब बताया, लेकिन 34 प्रतिशत ने ठीक बताया।
  • 49 प्रतिशत वोटरों ने जातिवार जनगणना करने के कांग्रेस के वादे को चुनावी बताया, जबकि 41 प्रतिशत ने सही बताया।
  • 71 प्रतिशत OBC वोटरों ने कहा कि प्रदेश में जातिवार जनगणना सर्वे होना चाहिए, लेकिन 20.52 प्रतिशत OBC वोटर इसके पक्ष में नहीं थे। ये सवाल केवल OBC वोटरों से पूछा गया था।
  • चुनाव के मुख्य मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर 21.05 प्रतिशत ने बेरोजगारी को मुख्य मुद्दा बताया, जबकि 18.51 प्रतिशत ने महंगाई को मुख्य मुद्दा बताया। 18.42 प्रतिशत ने कानून और व्यवस्था को मुख्य मुद्दा बताया, तो 16.51 प्रतिशत ने विकास को मुख्य मुद्दा बताया। 9.45 प्रतिशत ने भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बताया।
  • 50.18 प्रतिशत वोटरों ने अशोक गहलोत सरकार के काम को 1 से 10 के स्केल में 0-4 अंक दिया, 38.9 प्रतिशत ने 8-10 अंक दिया, और 10.92 प्रतिशत ने 5-7 का अंक दिया।
  • 42.18 प्रतिशत ने कहा कि वे अपने स्थानीय विधायक के काम से नाखुश हैं, जबकि 25.53 प्रतिशत ने कहा, वे अपने विधायक के काम से थोड़े बहुत खुश हैं। 20.18 प्रतिशत ने कहा कि विधायक के काम से पूरी तरह खुश हैं।
  • ये पूछे जाने कि किस पार्टी की सरकार ने प्रदेश में बेहतर काम किया, 47 प्रतिशत ने कहा – पिछली भाजपा सरकार और 40.12 प्रतिशत ने कहा – वर्तमान कांग्रेस सरकार।
  • इस सवाल पर कि किस पार्टी की गारंटियां (कल्याण योजनाएं) बेहतर हैं, 52.18 प्रतिशत ने कहा – भाजपा, और 40.27 प्रतिशत ने कहा – कांग्रेस।
  • 55.98 प्रतिशत वोटरों ने कहा कि वे कोविड महामारी के दौरान राज्य सरकार के काम से नाखुश हैं, जबकि 32.39 प्रतिशत ने कहा कि वे संन्तुष्ट हैं।
  • 57.15 प्रतिशत लोगों ने कहा कि गहलोत और पायलट के बीच टकराव से कांग्रेस को चुनाव में नुकसान होगा, जबकि 36.64 प्रतिशत ने कहा – नहीं।