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Hindi News राजस्थान "कानून बनने के बाद सालों तक नहीं बनते रूल्स", ओम बिरला ने सदनों की गिरती गरिमा पर जताई चिंता

"कानून बनने के बाद सालों तक नहीं बनते रूल्स", ओम बिरला ने सदनों की गिरती गरिमा पर जताई चिंता

उदयपुर में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक बार फिर सदनों की गिरती गरिमा पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि सदनों में व्यवधान उत्पन्न करना संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

ओम बिरला- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO ओम बिरला

उदयपुर: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कानून बनने के बाद सालों तक रूल्स नहीं बनने पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि इसलिए उन्होंने नियम बनाया है कि कानून बनने के बाद तय सीमा के अंदर उसके रूल्स भी बनने चाहिए। उन्होंने राज्यों की विधानसभाओं को भी ऐसा ही करने की सलाह दी है। राजस्थान के उदयपुर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (CPA) भारत क्षेत्र के 9वें सम्मेलन के दूसरे और अंतिम दिन समापन कार्यक्रम में बोलते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने एक बार फिर से सदनों की गिरती गरिमा पर चिंता जताई।

सदन में गतिरोध को लेकर क्या बोले लोकसभा स्पीकर?

बिरला ने कहा कि आज अधिकतम विधानसभा पेपर लेस हो चुकी है। अधिकतम विधानसभा ने सूचना प्रौद्योगिकी को अपना लिया है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को रोकने में टेक्नोलॉजी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां-जहां टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ, वहां-वहां भ्रष्टाचार कम हुआ है। उन्होंने कहा कि दुनिया की सारी चुनौतियों के समाधान का रास्ता भारत से ही होकर निकलेगा, आज दुनिया के देश भारत के लोकतंत्र से प्रेरणा ले रहे हैं, लेकिन सदनों की गिरती गरिमा चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि सदनों में नियोजित तरीके से गतिरोध पैदा करना, व्यवधान उत्पन्न करना संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।

 "जिनके लिए कानून बनते हैं उन्हें जानकारी भी नहीं होती"

बिरला ने कानून को लेकर लोगों की भागीदारी को बढ़ाने की वकालत करते हुए कहा कि संसद और विधान मंडल देश के जिन लोगों के लिए कानून बनाते हैं, उन लोगों को भी कानून की जानकारी नहीं होती, इसलिए इसे बदलने की जरूरत है। बिरला ने बताया कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में विधान मंडलों में जनता की सक्रिय भागीदार को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने के साथ ही डिजिटल माध्यम से सुशासन और पारदर्शिता बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया गया।