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Hindi News धर्म त्योहार Sankashti Chaturthi Vrat July 2023: सावन माह की संकष्टी चतुर्थी कब? इस शुभ मुहूर्त में करेंगे पूजा तो गणपति बप्पा के साथ शिव जी भी होंगे प्रसन्न

Sankashti Chaturthi Vrat July 2023: सावन माह की संकष्टी चतुर्थी कब? इस शुभ मुहूर्त में करेंगे पूजा तो गणपति बप्पा के साथ शिव जी भी होंगे प्रसन्न

Sankashti Chaturthi Vrat July 2023: कहा जाता है कि जो व्यक्ति संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, चंद्रोदय का समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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Sankashti Chaturthi Vrat July 2023:  हर माह के कृष्ण और शुक्ल, दोनों पक्षों की चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा का विधान है। बस फर्क केवल इतना है कि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, जबकि शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को वैनायकी श्री गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का अर्थ होता है- संकटों को हरने वाली। भगवान गणेश बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य को देने वाले हैं।  इनकी उपासना शीघ्र फलदायी मानी गई है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत करता है, उसके जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान निकलता है और उसके सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं संकष्टी चतुर्थी व्रत की तिथि, चंद्रोदय का समय, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुभ मुहूर्त

  • संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 23 मिनट से लेकर 8 बजकर 25 मिनट तक। 
  • चंद्र को अर्ध्य देने का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 08 मिनट पर। 

कब है संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत?

पंचांग के अनुसार संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत 6 जुलाई 2023 दिन गुरुवार को किया जाएगा। संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के मौके पर भगवान श्री गणेश की उपासना बड़ी ही फलदायी होगी।

संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत की पूजा विधि

  • संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत के दिन सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। 
  • उसके बाद गणपति का ध्यान करते हुए चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछाएं और इसके ऊपर भगवान गणेश की मूर्ति रख दें। 
  • उसके बाद गंगा जल छिड़कर पूरे स्थान को पवित्र कर दें। 
  • अब गणेश जी को फूल की मदद से जल चढ़ाएं।
  • उसके बाद रोली, अक्षत और चांदी की वर्क लगाएं।
  • लाल रंग का पुष्प, जनेऊ , दूब, पान में सुपारी, लौंग, इलायची और कोई मिठाई रखकर चढ़ाएं। 
  • इसके बाद नारियल और भोग में मोदक चढ़ाएं। 
  • गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं।  
  • सभी सामग्री चढ़ाने के बाद धूप, दीप और अगरबत्‍ती से भगवान  गणेश की आरती करें। 

इसके बाद इस मंत्र का जाप करें - 

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

या फिर

ॐ श्री गं गणपतये नम: का जाप करें।

अंत में चंद्रमा को दिए हुए मुहूर्त में अर्घ्य देकर अपने व्रत को पूर्ण करें।

(आचार्य इंदु प्रकाश देश के जाने-माने ज्योतिषी हैं, जिन्हें वास्तु, सामुद्रिक शास्त्र और ज्योतिष शास्त्र का लंबा अनुभव है। इंडिया टीवी पर आप इन्हें हर सुबह 7.30 बजे भविष्यवाणी में देखते हैं।)

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