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Hindi News धर्म त्योहार Valmiki Jayanti 2025: महर्षि वाल्मीकि जयंती कब है? जानिए संस्कृत साहित्य के आदि कवि की जीवनगाथा

Valmiki Jayanti 2025: महर्षि वाल्मीकि जयंती कब है? जानिए संस्कृत साहित्य के आदि कवि की जीवनगाथा

Valmiki Jayanti 2025: वाल्मीकि जी ने हिंदू धर्म के प्रमुख महाकाव्यों में से एक रामायण की रचना की थी। महर्षि को संसार का पहला कवि माना जाता है। हर साल उनकी वाल्मीकि जंयती आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। जानिए 2025 में वाल्मीकि जयंती की सही तारीख और इसका धार्मिक महत्व

valmiki jayanti 2025- India TV Hindi Image Source : FREEPIK वाल्मीकि जयंती 2025

Valmiki Jayanti 2025: हिंदूओं के आराध्य प्रभु श्री राम की जीवन गाथा पर आधारित ग्रंथ 'रामायण' के रचयिता महर्षि वा​ल्मीकि की जन्म जयंती बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। महर्षि का जन्म आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत साहित्य के आदि कवि माने जाते हैं, जिनका जन्मोत्सव वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है। 2025 में वाल्मीकि जयंती 7 अक्टूबर को मनाई जा रही है।

महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित महाकाव्य रामायण को सबसे प्रामाणिक माना जाता है। देश में महर्षि वाल्मीकि के प्राकट्य वाले दिन झांकियां और शोभा यात्राएं निकाल करके उनके प्रति श्रद्धा प्रकट की जाती है। इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं महर्षि वाल्मीकि की जीवन गाथा के बारे में। साथ ही उनकी जयंती का महत्व भी बताएंगे। 

महर्षि वाल्मीकि जयंती का महत्व

वाल्मीकि जयंती को बड़े उल्लास के साथ मनाई जाती है। इस अवसर पर शोभायात्राओं का आयोजन भी होता है और वाल्मीकि मंदिर में पूजा अर्चना भी की जाती है। वाल्मीकि जी को याद करते हुए इस अवसर पर राम भजन होता है। वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना करके हर किसी को सद्‍मार्ग पर चलने की राह दिखाई।

 एक डाकू के महर्षि वाल्मीकि बनने की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वाल्मीकि के बचपन का नाम रत्नाकर था। महर्षि के जन्म को लेकर तमाम तरह की किंवदंतियां है। ऐसा कहा जाता है कि युवावस्था में वह एक डाकू हुआ करते थे और लूट-पाट करके परिवार का पालन पोषण करते थे। अपने स्वभाव से मजबूर रत्नाकर को एक बार निर्जन वन में नारद मुनि मिले। रत्नाकर ने महर्षि नारद को लूटने का प्रयास किया। हालांकि, इस बार वह नारद मुनि से कुछ लूटने की जगह, उनकी शिक्षा पाकर लौटे। नारद जी ने रत्नाकर से पूछाकि तुम यह निम्न कार्य क्यों करते हो? इस पर रत्नाकर ने कहा- अपने परिवार को पालने के लिए।

इस पर नारद ने फिर प्रश्न किया कि तुम जिस परिवार के पालन के लिए इतने अपराध करते हो, क्या वह तुम्हारे पापों का भागीदार बनने को तैयार होंगे। इस प्रश्न का उत्तर जानने के लिए रत्नाकर, नारद को पेड़ से बांधकर अपने घर गए। वहां जाकर वह यह जानकर स्तब्ध रह गए कि परिवार का कोई भी व्यक्ति उसके पाप का भागीदार बनने को तैयार नहीं है। 
  
कहा जाता है कि नारद मुनि द्वारा ज्ञान पाकर उस डाकू का हृदय परिवर्तन हो गया और उसने अपने द्वारा जाने- अनजाने में किए गए अब तक के सभी पापों का प्रायश्चित करने के लिए कठिन तप शुरू कर दिया। इस तरह नारद जी ने इन्हें सत्य के ज्ञान से परिचित करवाया और उन्हें राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया था, लेकिन वह 'राम' नाम भी बोल नहीं पाते थे। तब नारद जी ने विचार करके उनसे मरा-मरा जपने के लिए कहा और मरा रटते-रटते यही 'राम' हो गया और निरंतर जप करते-करते हुए वह लुटेरे से एक ऋषि बन गए।

वह अपने तप में इतना लीन हो गए कि अपने आसपास क्या घटित हो रहा है, इसका जरा भी भान न रहा। एक समय ऐसा आया जब उनके शरीर पर दीमक ने टीला बना लिया। कहा जाता है कि इसी कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। महर्षि वाल्मीकि का संबंध प्रभु राम के युग का बताया जाता है। इतना ही नहीं देवी सीता वाल्मीकि जी के आश्रम में ही आश्रय लेने पहुंची थीं। जहां माता सीता और भगवान राम के दो जुड़वां पुत्रों लव और कुश ने जन्म लिया था। महर्षि ने ही उन्हें रामायण का ज्ञान दिया। लव और कुश ने ही सार्वजनिक रूप से सबसे पहले रामायण का गान किया था। 

महर्षि वाल्मीकि जयंती ऐसे मनाएं

 

  • इस दिन सूर्योदय से पहले उठें और स्नान-ध्यान करके अपने पूजा घर को साफ करें।
  • यहां महर्षि वाल्मीकि का चित्र या मूर्ति स्थापित करें।
  • इसके बाद उनका धूप, दीप औप फूल अर्पित कर उनका पूजन करें।
  • इसके बाद वाल्मीकि रचित रामायण जी का पाठ करें।
  • इसके बाद इस शुभ अवसर पर अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद लोगों को अन्न, धन और वस्त्र आदि का दान करें।  

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)

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