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रणजी ट्रॉफी में अद्भुत जीत के साथ झारखंड ने रचा इतिहास

झारखंड क्रिकेट टीम रणजी ट्रॉफी के इतिहास में पहली ऐसी टीम बन गई है जिसने फॉलोऑन खेलने के बाद अपने विरोधी टीम को हराने का कारनामा किया है।

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घरेलू क्रिकेट में रणजी ट्रॉफी का पहला दौर समाप्त हो गया है। पहले दौर में कई रोचक मुकाबले देखने को मिले जिसमें सभी टीमों ने एक दूसरे के साथ जोर अजमाइश की लेकिन झारखंड और त्रिपुरा के बीच खेले गए मैच ने रणजी ट्रॉफी के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया। झारखंड और त्रिपुरा के बीच हुए इस मैच ने साल 2001 में ईडन गार्डन के मैदान पर खेले गए भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच की याद को ताजा कर दिया।

दरअसल रणजी ट्रॉफी के ग्रुप सी मुकाबले में त्रिपुरा के खिलाफ झारखंड फॉलोऑन के बाद मैच जीतने में सफल रही। रणजी ट्रॉफी के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी टीम ने फॉलोऑन खेलने के बाद अपने विरोधी टीम को मात दी है। 

अगरतला में खेले गए इस मैच में त्रिपुरा ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 289 रनों का स्कोर खड़ा किया। इस स्कोर के जवाब में झारखंड की टीम पहली पारी में महज 136 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। पहली पारी में मिली 153 रनों की बढ़त के बाद त्रिपुरा ने झारखंड को फॉलोऑन के लिए मजबूर कर दिया।

दोहराया 18 साल पुराना इतिहास

फॉलोऑन के बाद झारखंड की टीम को एक बार फिर से बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतरना था। पहली पारी में बल्लेबाजों के हस्र को देखते हुए टीम के मैनेजर ने पीएन सिंह ने ड्रेसिंग रूम में इशांक जग्गी और कप्तान सौरव तिवारी से कहा 'ईडन गार्डन का रिपीट हो जाए'। ईएसपीएन से बात करते हुए जग्गी ने कहा कि इस मेरा जवाब यह था, 'कभी कभी हो सकता है हर बार नहीं'।

इस बातचीत के बाद किसे पता था कि सच में इतिहास लिखा जाने वाला है। पहली पारी में सस्ते में आउट होने के बाद झारखंड के पास दो दिन का समय था। फॉलोऑन के बाद झारखंड दूसरी पारी में बल्लेबाजी के लिए मैदान पर उतर चुकी थी। टीम के लिए ओपनर बल्लेबाज कुमार देववर्थ और नशीम सिद्दिकी के बीच पहले विकेट के लिए 42 रनों की साझेदारी हुई। हालांकि दूसरी पारी में भी टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज अपने लय में नजर नहीं आ रहे थे। यही वजह है कि 138 रन के स्कोर पर झारखंड अपने पांच विकेट गंवा चुकी थी। 

पांच विकेट गंवाने के बाद झारखंड के लिए कप्तान सौरभ तिवारी और इशांक जग्गी बल्लेबाजी के लिए मैदान पर आए जिन्होंने मैच का रुख ही बदल दिया। इन दोनों बल्लेबाजों के बीच 200 रनों से अधिक की साझेदारी हुई। सौरभ ने 122 रनों की शतकीय पारी खेली जबकि जग्गी ने 107 रन बनाए। इन दोनों बल्लेबाजों की शतकीय पारी की मदद से झारखंड की टीम ने दूसरी पारी में 418 रन बनाकर घोषित कर दी।

इस तरह झारखंड ने त्रिपुरा को जीतने के लिए 264 रनों का लक्ष्य दिया।

खेल के आखिरी दिन गेंदबाजों ने दिखाया कमाल 

पहली पारी में दमदार बल्लेबाजी करने वाली त्रिपुरा के सामने 264 रनों की चुनैती थी। वहीं झारखंड को इस मैत को जीतने के लिए त्रिपुरा को ऑलआउट करना था। दूसरी पारी में झारखंड के गेंदबाजों ने कमाल की शुरुआत की और 50 रन के भीतर त्रिपुरा के 6 बल्लेबाजों को आउट कर दिया। 

यहां से झारखंड को जीत की उम्मीद दिखने लगी लेकिन त्रिपुरा के मनिशंकर मुरासिंह एक छोर पर अपना खूंटा गाड़े हुए थे। मनिशंकर की पूरी कोशिश थी कि वह मैच को ड्रॉ की ओर लेकर जाए लेकिन अंतिम पलों में विवेकानंद तिवारी 103 रन के स्कोर पर उन्हें आउट कर उनके संघर्षपूर्ण पारी के बेकार क दिया। इसके बाद आखिर में त्रिपुरा के लिए हरमीत सिंह ने 26 रनों की पारी खेली।

कम रौशनी की वजह से ऐसा लग रहा था कि अंपायर मैच ड्रॉ की घोषणा कर देंगे लेकिन मैच के अंतिम क्षणों में गेंदबाज आशिष कुमार ने रणा दत्ता को एलबीडब्लूय कर मैच को झारखंड की झोली में डाल दिया।

इस तरह पहली पारी में झारखंड को फॉलोऑन देने वाली त्रिपुरा अपनी दुसरी पारी में 210 रन बनाकर ऑल आउट गई और झारखंड ने इस मैच को 54 रनों से जीत लिया। 

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