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मैरी कॉम के साथ मुकाबले के बाद बोली निकहत जरीन, मेरी लड़ाई सिस्टम से है ना कि मैरी कॉम से

मैरी कॉम ने 51 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में निकहत को 9-1 से मात दी। मैच के बाद जब निकहत ने उनसे हाथ मिलाना चाहा तो मैरी कॉम ने अपना रूखापन दिखाने का मौका नहीं छोड़ा।  

Mary Kom, nikhat Zarin, Boxing match- India TV Hindi Image Source : IANS After the match with Mary Kom, bid Nikhat Zarin, my fight is with the system and not with Mary Kom

नई दिल्ली। युवा महिला मुक्केबाज निकहत जरीन को जब लगा कि ओलम्पिक क्वालीफायर में जाने की राह में उनका हक छिन रहा है तो उन्होंने इसके लिए लड़ाई लड़ी। इस लड़ाई में उन्हें भारतीय मुक्केबाजी महासंघ (बीएफआई) और छह बार की विजेता मैरी कॉम के खिलाफ भी जाना पड़ा। नतीजा यह रहा कि वह हक की लड़ाई में ट्रायल्स का आयोजन करवाने में तो सफल रहीं लेकिन मैरी कॉम से उनकी ठन गई।

मैरी कॉम ने 51 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में निकहत को 9-1 से मात दी। मैच के बाद जब निकहत ने उनसे हाथ मिलाना चाहा तो मैरी कॉम ने अपना रूखापन दिखाने का मौका नहीं छोड़ा।

फाइनल के बाद भी मैरी कॉम निकहत पर तीखी टिप्पणी करती रहीं लेकिन युवा मुक्केबाज ने अपनी असल परिपक्वता का प्रदर्शन किया और निराशा भरे माहौल में भी शांत स्वाभाव का प्रदर्शन किया। निकहत ने आईएएनएस से बातचीत में साफ कर दिया कि उनकी लड़ाई मैरी कॉम से नहीं बल्कि सिस्टम से थी।

तेलंगाना की रहने वाली निकहत ने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ होगा। मेरे लिए यह सब कुछ नया है। मुझे नहीं पता था कि ट्वीटर पर लिखने और खेल मंत्री को पत्र लिखने के बाद वो (मैरी कॉम) मुझसे इस तरह से निराश होंगी। अगर वह इन सभी चीजों को निजी तौर पर ले रहीं तो यह उनकी मर्जी है, मैं इस पर कुछ नहीं कह सकती। मैं ट्रायल्स के लिए लड़ रही थी, मैं सिस्टम के खिलाफ लड़ रही थी न कि मैरी कॉम और महासंघ के खिलाफ। मैंने बस यही कहा था कि हर टूर्नामेंट से पहले ट्रायल्स होने चाहिए। बस।"

निकहत को हालांकि लगता है कि मैरी कॉम को हमेशा ट्रायल्स के लिए तैयार रह युवा मुक्केबाजों के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए।

उन्होने कहा, "वह महान खिलाड़ी हैं तो उन्हें डरने की जरूरत तो है नहीं। हम सभी उनके सामने जूनियर हैं। उन्हें हमेशा ट्रायल्स के लिए तैयार रहना चाहिए और युवाओं के लिए एक बेहतरीन उदाहरण बनना चाहिए। अब उन्होंने मुझे हरा दिया है और वह ओलम्पिक क्वालीफायर जा रही हैं। हर कोई इससे खुश है। यह तब नहीं होता जब वे सीधे बिना किसी को वाजिब मौका दिए वगैर क्वालीफायर के लिए जातीं। हमें भी पता चलता है न कि हम कितने पानी में हैं। हमें भी पता होना चाहिए कि हम कहां पिछड़ रहे हैं और इसके लिए मुझे खड़ा होना पड़ा, अपनी आवाज उठानी पड़ी। हर प्रतिस्पर्धा से पहले ट्रायल्स होना चाहिए। मैं मुकाबला हार गई लेकिन मैंने उस दिन कई लोगों का दिल जीत लिया और मैं इससे खुश हूं।"

निकहत ने कहा कि वह हार के बाद निराश थीं और उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह किस तरह अपने आप को काबू में करें।

उन्होंने कहा, "देखिए, हार के बाद मैं भी निराश थी। मैंने अपनी निराशा को छुपा लिया था और दूसरों को समझाने की कोशिश कर रही थी। मैं खुद इस बात को लेकर असमंजस में थी कि मुझे अपने आप को संभालना चाहिए या इन्हें नियंत्रण करना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "मुझे पता है कि मेरे पिता और मेरी एसोसिएशन के लोग चिल्ला रहे थे। लोग मुझसे बोल रहे थे कि निकहत जाओ और उन्हें शांत कराओं नहीं तो परेशानी हो जाएगी इसलिए मैं गई। मैंने उन्हें शांत किया, मैंने उन्हें समझाया कि यह अच्छा नहीं लगता। मैं जानती थी कि मैरी के लिए भी यहां समर्थक आए हैं और मैं यहां पर किसी तरह का तमाशा नहीं चाहती।"