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FIFA विश्व कप में इस बार 5 नई तकनीक का होगा इस्तेमाल, जानें इन्हें

फीफा विश्व कप 2018 में 32 टीमें हिस्सा ले रही हैं। टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला 15 जुलाई को खेला जाएगा।

<p>फीफा विश्व कप की...- India TV Hindi फीफा विश्व कप की ट्रॉफी Photo:GETTY IMAGES

हर विश्व कप में सुधार के लिए नई तकनीक का आना अब आम बात हो गई है और रूस में शुरू हुए फुटबॉल के महासमर में इस बार पांच नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।ये पांच तकनीक हैं, वीएआर (वीडियो एसिसटेंट रैफरी), 4 के अल्ट्रा हाई डेफिनीशन वीडियो एवं वीआर, इलेक्ट्रानिक परफोरमेंस एंड ट्रैकिंग सिस्टम (ईपीटीएस), 5 जी और एडिडास की टेलीस्टार 18 फुटबॉल है। रैफरी वीएआर तकनीक के इस्तेमाल से गोल, पेनल्टी, रेड कार्ड और किसी गलत खिलाड़ी की पहचान के संबंध में वीडियो रैफरी को रेफर कर सकते हैं जो उनकी मदद करेगा। 

इस तकनीक का परीक्षण कई टूर्नामेंट में किया जा चुका है जिसमें एफए कप शामिल है। फीफा सभी 64 मैचों में इस तकनीक का इस्तेमाल करेगा। इसके लिए वीडियो सहायक रैफरी टीम में एक मुख्य वीएआर और तीन सहायक वीएआर होंगे जो मास्को में इंटरनेशनल ब्राडकास्ट सेंटर में वीडियो आपरेशन रूम (वीओरआर) में बैठेंगे। वीएआर ‘फाइबर पर आधारित रेडियो सिस्टम’ के इस्तेमाल से रैफरियों से बात कर सकते हैं जबकि 33 प्रसारणकर्ता कैमरे की फीड और आफसाइड के दो कैमरे की फीड सीधे वीओरआर में पहुंचा दी जाएगी। इनमें से आठ फीड सुपर-स्लो मोशन की हैं और चार अल्ट्रा-स्लो मोशन की हैं। वहीं नॉकआउट मैचों में दो अतिरिक्त अल्ट्रा-स्लो मोशन कैमरा होंगे। 

ब्राजील 2014 में 4 के अल्ट्रा हाई डेफीनेशन तकनीक का ट्रायल किया गया था लेकिन इस बार पहली बार 4 के फीड प्रसारकों को उपलब्ध कराई जाएगी क्योंकि काफी बड़ी संख्या में दर्शकों के पास अब इस तकनीक के मुताबिक टीवी सेट हैं। इलेक्ट्रॉनिक परफॉरमेंस एंड ट्रैकिंग प्रणाली फीफा की दूसरी बड़ी खोज है जो टेबलेट आधारित प्रणाली है जिससे सभी भाग लेने वाली 32 टीमों के कोचों को खिलाड़ियों के आंकड़े और वीडियो फुटेज मुहैया होंगे। 

प्रत्येक टीम को तीन टेबलेट दिए जाएंगे। ये टेबलेट स्टैंड में विश्लेषक, बेंच पर विश्लेषक और मेडिकल टीम में से किसी एक को दिया जाएगा। इसमें मैच फुटेज 30 सेकेंड की देरी से होगी जिसमें खिलाड़ियों की पोजीशन का डाटा, पासिंग, प्रेसिंग, स्पीड और टैकल्स के आंकड़े शामिल होंगे। इपीटीएस कैमरा आधारित प्रणाली है जिसे फीफा ने 2015 में ही मंजूरी दे दी थी। इसके लिए डाटा मुख्य स्टैंड पर स्थित दो ऑप्टिकल ट्रैकिंग कैमरा से जुटाया जाएगा जबकि टीमों के लिए चुनिंदा खास कैमरे भी लगे हैं। वहीं रूस में 5 जी नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाएगा, विश्व कप के अधिकारिक कम्यूनिकेशन साझीदार टीएमएस और मेगाफोन टूर्नामेंट के दौरान इस तकनीक का ट्रायल करेंगे। हालांकि यह 5 जी नेटवर्क 2019 तक व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होगा। 

सबसे अहम होगी ‘एडिडास की टेलीस्टार 18’ बॉल। एडिडास 1970 से हर विश्व कप के लिए बॉल बना रहा है और हर बार कुछ नये बदलाव करता है। इस बार इसमें ‘नीयर फील्ड कम्यूनिकेशन’ चिप लगाई गई है और ये वही तकनीक है जो एपल पे और एंड्रोइड पे में इस्तेमाल होती है जिससे ये स्मार्टफोन से कनेक्ट हो जाती है और पहली बार किसी भी मैच की गेंद में एनएफसी चिप को लगाया गया है।