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Hindi News खेल अन्य खेल दबाव महसूस करना बंद करना होगा और अपने खेल को अलग नजरिये से देखना होगा: दीपिका

दबाव महसूस करना बंद करना होगा और अपने खेल को अलग नजरिये से देखना होगा: दीपिका

कोलकाता लौटने के बाद दीपिका ने कहा, ‘‘वो पांच छल्लों का दबाव, हावी हो जा रहा है।’’   

High time that I stop feeling pressure and see my game from a different perspective: Deepika Kumari- India TV Hindi Image Source : TWITTER/@MEDIA_SAI High time that I stop feeling pressure and see my game from a different perspective: Deepika Kumari

कोलकाता। भारत की स्टार तीरंदाज दीपिका कुमारी ने सोमवार को स्वीकार किया कि उन्हें ओलंपिक खेलों में दबाव में आने से बचने की जरूरत है और भविष्य में वांछित नतीजे हासिल करने के लिए खेलों के सबसे बड़े मंच को अलग नजरिये से देखने की जरूरत है। इस साल विश्व कप में कई पदक जीतने वाली दीपिका अच्छी फॉर्म में चल रही थी और 27 साल की इस खिलाड़ी से तोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए तीरंदाजी का पहला ओलंपिक पदक जीतने की उम्मीद थी। दीपिका को हालांकि व्यक्तिगत और मिश्रित युगल दोनों स्पर्धाओं के क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा जिससे एक बार फिर ओलंपिक में उनके अभियान का निराशाजनक अंत हुआ। 

कोलकाता लौटने के बाद दीपिका ने पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘वो पांच छल्लों का दबाव, हावी हो जा रहा है।’’ 

दीपिका ने कहा कि वह समझ सकती हैं कि पदक के पीछे भागने की जगह उन्हें ओलंपिक में ‘लम्हे का लुत्फ उठाने’ पर काम करने की जरूरत है जिसकी उन्हें कमी खलती है। 

उन्होंने कहा, ‘‘सभी कह रहे हैं कि हमारे पास पदक नहीं है, हमारे पास पदक नहीं है। हमने इसके बारे में वहां हजार बार सोचा और यह हमारी मानसिकता पर हावी रहा। इसका मानसिक असर रहा और हमारी तकनीक प्रभावित हुई।’’ 

दीपिका ने कहा, ‘‘समय आ गया है कि मैं अपने खेल का आत्मविश्लेषण करूं और इसे अलग नजरिए से देखूं। काफी चीजों की कमी खल रही है। असल में हमें अपने खेल का नजरिया बदलने की जरूरत है।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सभी प्रतियोगिताओं को एक तरह से देखना होगा, यह विश्व कप हो, विश्व चैंपियनशिप या ओलंपिक। लेकिन वहां (ओलंपिक) हम पदक के बारे में काफी अधिक सोचते हैं। हमें चीजों को पेचीदा नहीं बनाना होगा और उस लम्हे का लुत्फ उठाना होगा।’’ 

दीपिका ने कहा, ‘‘विश्व कप या विश्व चैंपियनशिप में भी पदक ही सर्वोच्च लक्ष्य होता है लेकिन हम कभी इसके बारे में लगातार नहीं सोचते। लेकिन एक बार ओलंपिक में पहुंचने के बाद हम पदक जीतने के विचार से दूर नहीं हो पाते। हमें इस पर काम करने की जरूरत है। ’’

दीपिका को व्यक्तिगत क्वार्टर फाइनल में कोरिया की बीस साल की आन सान के खिलाफ सीधे सेटों में हार का सामना करना पड़ा। व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाली आन सान भी दीपिका के खिलाफ दबाव में दिखी और अंतिम दो सेट में 26 अंक ही जुटा सकी। दीपिका ने हालांकि बेहद लचर प्रदर्शन किया और लगातार तीन बार सात और एक आठ अंक के साथ मुकाबला गंवा दिया। दीपिका ने इससे पहले प्री क्वार्टर फाइनल में रूप से अनुभवी सेनिया पेरोवा को हराया था। उन्होंने शूट आफ में 10 अंक पर निशाना साधा था। 

इस तीरंदाज ने कहा, ‘‘मैं काफी अच्छा खेल रही थी लेकिन तीर बीच में नहीं लग रहे थे- यह रहस्य था। मैं और मीम सर (कोच मीम गुरुंग) हैरान थे। ’’ अपने पति और भारत के नंबर एक तीरंदाज अतनु दास की तरह दीपिका ने भी कहा कि मनोवैज्ञानिक की मौजूदगी से मदद मिलती। 

उन्होंने कहा, ‘‘इससे काफी मदद मिलती। हमें ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो हमारा मनोबल बढाए।’’ दीपिका और दास विश्व चैंपियनशिप के चयन ट्रायल में चूकने के बाद अगले महीने विश्व कप फाइनल में हिस्सा लेंगे।