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Hindi News उत्तर प्रदेश पीएम मोदी और सीएम योगी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खून से लिखे लेटर, सरकार को दी ये चेतावनी

पीएम मोदी और सीएम योगी को कांग्रेस कार्यकर्ताओं को खून से लिखे लेटर, सरकार को दी ये चेतावनी

जातीय जनगणना की मांग को लेकर पिछले 21 दिन से मुजफ्फरनगर कलक्ट्रेट के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे फिशरमैन कांग्रेस नेता देवेंद्र कश्यप के साथ दूसरे कार्यकर्ताओं ने पीएम मोदी और सीएम योगी को अपने खून से चिट्ठी लिखकर भेजी है।

PM Modi and CM Yogi- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO पीएम मोदी और सीएम योगी को रक्त लिखित पत्र भेजे

मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर जिला कलक्ट्रेट परिसर में कांग्रेस का अनोखा प्रदर्शन देखने को मिला है। खबर है कि जातीय जनगणना की मांग को लेकर पिछले 21 दिनों से जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर रहे फिशरमैन कांग्रेस नेता देवेंद्र कश्यप के साथ धरना दे रहे दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने हाथों से खून निकालकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम रक्त पत्र लिखे। 

अगर सरकार नहीं मानी तो करेंगे रेल रोको आंदोलन

बता दें कि मुज़फ्फरनगर जिला कलक्ट्रेट परिसर में पिछले 21 दिनों से किसानों को गन्ना मूल्य में वृद्धि, बिजली बिल में छूट और अति पिछड़ा समाज को आरक्षण के साथ-साथ जातीय जनगणना की मांग को लेकर फिशरमैन कांग्रेस के तत्वाधान में धरना प्रदर्शन चल रहा है। लेकिन समस्याओं का समाधान न होने से धरना प्रदर्शन कर रहे लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, जिसका असर शुक्रवार को देखने को मिला। दरअसल, फिशरमैन कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र कश्यप के साथ धरने पर बैठे दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हाथों से खून निकालकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम रक्त पत्र लिख कर सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं की गईं तो दिन-रात धरना प्रदर्शन किया जायेगा और अगर तब भी सरकार नहीं जागी तो रेल रोको आंदोलन भी किया जायेगा।

जातिगत जनगणना को लेकर 21 दिन से धरना जारी

मुज़फ्फरनगर कलक्ट्रेट में अतिपिछड़ा समाज के आरक्षण, गुड कोल्हू संचालकों की समस्याओं को लेकर अतिपिछड़ा आरक्षण अधिकार अनिश्चितकालीन सत्याग्रह 21वें दिन भी जारी रहा। धरना प्रदर्शन कर रहे देवेंद्र कश्यप ने बताया कि आजादी के 76 साल बाद भी पिछड़े वर्ग की अधिकतर जातियों की सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति अत्यंत कमजोर है, जिसका सबसे बड़ा कारण 1931 के बाद पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना के आंकड़े ना होना है। उन्होंने कहा कि साल 2011 में केंद्र की यूपीए सरकार ने जनगणना में जातिगत और आर्थिक आंकड़े जुटाए, लेकिन 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार आ गई जिसके बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने जनगणना में पिछड़े वर्ग के जातिगत और आर्थिक आंकड़े पेश नहीं किए। वहीं साल 2021 में शुरू होने वाली जनगणना को भी शुरू नहीं कराया गया।

(रिपोर्ट- योगेश त्यागी)

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