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Hindi News उत्तर प्रदेश ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे के मामले में वाराणसी कोर्ट में सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की है याचिका

ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे के मामले में वाराणसी कोर्ट में सुनवाई, मुस्लिम पक्ष ने दाखिल की है याचिका

मुस्लिम पक्ष ने ईमेल के जरिए सर्वे की स्टडी रिपोर्ट की मांग की है। इससे पहले हिंदू पक्ष ने भी ईमेल के जरिए रिपोर्ट प्राप्त करने की अर्जी लगाई है। 18 दिसंबर को ASI ने कोर्ट में सर्वे की स्टडी रिपोर्ट पेश किया था।

ज्ञानवापी परिसर - India TV Hindi Image Source : PTI ज्ञानवापी परिसर

वाराणसी के जिला सत्र न्यायलय में ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे के मामले में थोड़ी देर में सुनवाई होगी। सर्वे की रिपोर्ट को लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से याचिका दाखिल की गई है। मुस्लिम पक्ष ने ईमेल के जरिए सर्वे की स्टडी रिपोर्ट की मांग की है। इससे पहले हिंदू पक्ष ने भी ईमेल के जरिए रिपोर्ट प्राप्त करने की अर्जी लगाई है। 18 दिसंबर को ASI ने कोर्ट में सर्वे की स्टडी रिपोर्ट पेश किया था। ASI ने सील बंद लिफाफे में सर्वे की रिपोर्ट पेश की थी। 

हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में दी जाएगी चुनौती

 वहीं, प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (एएम समूह) के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने बुधवार को कहा कि ज्ञानवापी के मामले में मुस्लिम पक्ष की याचिकाओं को इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से खारिज करने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी। मौलाना मदनी ने पत्रकारों द्वारा पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए कहा, “ज्ञानवापी मामले में (मस्जिद की) कमेटी उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रही है और जहां तक मैं जानता हूं उन्होंने कुछ वकीलों से बातचीत भी कर ली है। इससे पहले ज्ञानवापी मस्जिद की प्रबंधन समिति 'अंजुमन इंतजामिया मसाजिद' ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का संकेत देते हुए मंगलवार को कहा था कि वह कोई भी चीज तश्तरी में सजाकर नहीं देगी और आखिरी सांस तक कानूनी लड़ाई लड़ेगी।

हाई कोर्ट ने खारिज की थी याचिका

हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के स्वामित्व को लेकर वाराणसी की एक अदालत में लंबित मूल वाद की पोषणीयता और ज्ञानवापी परिसर का समग्र सर्वेक्षण कराने के निर्देश को चुनौती देने वाली सभी पांच याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा कि वर्ष 1991 में जिला अदालत के समक्ष दायर मुकदमा कायम रखने योग्य है और यह पूजा स्थल अधिनियम—1991 के तहत वर्जित नहीं है।

अदालत ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह मुकदमे पर तेजी से सुनवाई करे और छह महीने के अंदर फैसला करे। न्यायालय ने आगे कहा, ''भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को निचली अदालत के समक्ष अपनी रिपोर्ट जमा करनी है। अगर जरूरी हुआ तो निचली अदालत एएसआई को आगे के सर्वेक्षण के लिए निर्देशित कर सकती है।