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Hindi News चुनाव 2024 बिहार विधान सभा चुनाव 2020 वर्चुअल रैली का चुनाव से लेना-देना नहीं, कोरोना संकट में जनसंपर्क संस्कार को भुला नहीं सकते: अमित शाह

वर्चुअल रैली का चुनाव से लेना-देना नहीं, कोरोना संकट में जनसंपर्क संस्कार को भुला नहीं सकते: अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को बिहार के लोगों को डिजिटल रैली के जरिए लोगों को संबोधित किया। इस डिजिटल रैली को बिहार जनसंवाद रैली का नाम दिया गया।

<p>Digital Rally of Home Minister Amit Shah</p>- India TV Hindi Image Source : TWITTER/BJP Digital Rally of Home Minister Amit Shah

नई दिल्ली. गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को बिहार के लोगों को डिजिटल रैली के जरिए लोगों को संबोधित किया। इस डिजिटल रैली को बिहार जनसंवाद रैली का नाम दिया गया।उन्होंने कहा, "इस रैली का चुनाव से कोई संबंध नहीं है। भाजपा लोकतंत्र में विश्वास रखती है। कोरोना संकट में हम जन संपर्क के अपने संस्कार को भुला नहीं सकते। मैं भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जी को बधाई देता हूं कि 75 वर्चुअल रैली के माध्यम से उन्होंने जनता से जुड़ने का मौका दिया है।"

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद जब कांग्रेस पार्टी की नेता श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाकर लोकतंत्र का गला घोटने का प्रयास किया तब बिहार की जनता ने ही जेपी आंदोलन करके फिर से एक बार लोकतंत्र को स्थापित करने का काम किया। बिहार की धरती ने ही पहली बार दुनिया को लोकतंत्र का अनुभव कराया। जहां महान मगध साम्राज्य की नींव डाली गई। इस भूमि ने हमेशा भारत का नेतृत्व किया है।

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उन्होंने आगे कहा, "जो वक्रदृष्टा लोग इसमें भी राजनीति देखते हैं, उन्हें मैं कहता हूं कि किसने उन्हें रोका है, दिल्ली में बैठकर मौज करने की जगह, दिल्ली से लेकर पटना और दरभंगा की जनता को जोड़ने के लिए एक वर्चुअल रैली ही कर लेते। ये राजनीतिक दल के गुणगान गाने की रैली नहीं है। ये रैली जनता को कोरोना के खिलाफ जंग में जोड़ने और उनके हौसले बुलंद करने के लिए है।"

अमित शाह ने आगे कहा, "2014 में मोदी जी ने कहा था कि भारत का विकास जो अब तक चला उसमें पश्चिमी भारत और पूर्वी भारत के विकास में बहुत बड़ा अंतर है। आजादी के समय जीडीपी के अंदर पूर्वी भारत का योगदान बहुत ज्यादा होता था, परंतु आजादी के बाद से जिस प्रकार से सरकारें चली उन्होंने पूर्वी भारत के विकास से मुंह मोड़ लिया था और परिणाम ये आया कि पूर्वी भारत पिछड़ता गया।"

उन्होने कहा कि पीएम मोदी ने छह साल के अंदर करोड़ों गरीबों के जीवन में प्रकाश लाने का एक प्रयास किया है जिसका सबसे बड़ा फायदा अगर किसी को हुआ है तो वो मेरे पूर्वी भारत के लोगों को हुआ है। आवास, बिजली, बैंक खाते, स्वास्थ्य सेवाएं, गैस सिलेंडर, शौचालय, ये सब तो मोदी सरकार 2014-2019 तक के कार्यकाल में ही दे चुकी थी। 2019 में पीएम मोदी ने जल शक्ति मंत्रालय गठित करके देश के 25 करोड़ लोगों के घर में नल से शुद्ध जल पहुंचाने की योजना शुरू की।

राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए उन्होने कहा, "राहुल गांधी जी हमेशा करते थे कि किसानों का कर्ज माफ करो। 10 साल उनकी सरकार रही थी, तो वो दावा करते हैं कि करीब 3 करोड़ किसानों का 60 हजार करोड़ रुपये का कर्ज माफ किया। नरेन्द्र मोदी जी ने किसान सम्मान निधि के माध्यम से 9.5 करोड़ किसानों के बैंक खाते में 72,000 करोड़ रुपये हर साल डालने की व्यवस्था की।"

उन्होंने कहा कि आरसीईपी की चर्चा कांग्रेस शुरू करके गई थी। इसकी वजह से छोटे किसान, मछुवारे, छोटे कारोबारी, छोटे उद्योग ये सब तबाह हो जाते। पीएम मोदी ने छोटे किसानों, छोटे व्यापारियों के हित में दृढ़ता से फैसला लेते हुए आरसीईपी समझौते से भारत को अलग कर लिया।

अमित शाह ने कहा कि जनता कर्फ्यू भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के अंदर स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा कि देश के एक नेता की अपील पर कोई पुलिस बल प्रयोग किए बगैर पूरे देश ने घर के अंदर रहकर अपने नेता की अपील का सम्मान किया। उन्होंने कहा, "देश की 130 करोड़ जनता मोदी जी के साथ कोरोना की लड़ाई में चट्टान की तरह खड़ी है।"

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने इसे राजनीतिक प्रोपेगेंडा कहा, मगर जो कह रहे हैं उनको ये मालूम नहीं है कि ये राजनीतिक प्रोपेगेंडा नहीं है बल्कि ये देश को एक बनाने की मुहिम है। चाहे उन्होंने थाली और घंटी बजाने को कहा, चाहे दीया जलाने को कहा, चाहे सेना के जवानों द्वारा आकाश से कोरोना वॉरियर्स पर फूल बरसाने की बात हो, ये सब मोदी जी की अपील ही थी। 

अमित शाह ने कहा कि देश का कोई भी कोना हो, उसके विकास की नींव में बिहार के व्यक्ति के पसीने की महक है। जो लोग उन्हें अपमानित करते हैं वो प्रवासी मजदूरों के जज्बे को नहीं समझते हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद नरेन्द्र मोदी जी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा कि सभी जगह प्रवासी मजदूरों को सम्मान से रखा जाए और उनके लिए 11 हजार करोड़ रुपये राज्यों को दिए।