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Hindi News चुनाव 2024 लोकसभा चुनाव 2019 मध्य प्रदेश: छिंदवाड़ा में पिता-पुत्र की पार्टी एक, चुनाव अलग-अलग

मध्य प्रदेश: छिंदवाड़ा में पिता-पुत्र की पार्टी एक, चुनाव अलग-अलग

छिंदवाड़ा देश का प्राय: अकेला ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां पिता-पुत्र एक साथ, एक ही पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिता विधानसभा के लिए और पुत्र लोकसभा के लिए।

<p>Nakul Nath and Kamal Nath</p>- India TV Hindi Nakul Nath and Kamal Nath

छिंदवाड़ा: छिंदवाड़ा देश का प्राय: अकेला ऐसा संसदीय क्षेत्र है, जहां पिता-पुत्र एक साथ, एक ही पार्टी से चुनाव लड़ रहे हैं। पिता विधानसभा के लिए और पुत्र लोकसभा के लिए। दोनों साथ-साथ प्रचार कर रहे हैं और विकास ही दोनों का चुनावी मुद्दा है।

छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र का बीते 40 साल से कमलनाथ अथवा उनके परिवार का सदस्य प्रतिनिधित्व करता आ रहा है। कमलनाथ मुख्यमंत्री बनने से पहले नौ बार इस संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीत चुके हैं। छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र पर मध्य प्रदेश के गठन के बाद वर्ष 1956 के बाद हुए चुनावों पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ हो जाती है कि इस संसदीय क्षेत्र से अब तक सिर्फ एक बार 1997 में हुए उप-चुनाव में भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा को जीत मिली थी। इस संसदीय सीट से कमलनाथ नौ बार, गार्गी शंकर शर्मा तीन बार, भीकुलाल चांडक, अलकानाथ व नारायण राव एक-एक बार कांग्रेस के सांसद रहे हैं।

पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विकास के 'छिंदवाड़ा मॉडल' को मुद्दा बनाया था। लोकसभा चुनाव में इस मॉडल की कोई चर्चा तो नहीं है, मगर छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। कांग्रेस की ओर से छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवार नकुलनाथ और छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार मुख्यमंत्री कमलनाथ अब तक हुए विकास और आगे भी इसे जारी रखने को मुद्दा बनाए हुए हैं।

मुख्यमंत्री कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर रहे हैं। वह चुनावी रैलियों में कहते हैं कि उनके लिए कमलनाथ की सीट का प्रतिनिधित्व करना बड़ी चुनौती है, विकास की जो यात्रा चल रही है, उसे जारी रखेंगे। हर वर्ग की जरूरतों को पूरा करना उनका लक्ष्य होगा और रोजगार उनकी प्राथमिकता में सबसे ऊपर होगा।

छिंदवाड़ा के युवक राजेश कुमार कहते हैं कि चुनाव में विकास मुद्दा होना ही चाहिए। नेता जो वादे करें, उसे चुनाव के बाद पूरा करें तो अच्छा होगा। कमलनाथ ने छिंदवाड़ा के विकास के लिए काम किया है, मगर अभी भी बहुत किया जाना बाकी है। युवाओं को रोजगार मिले, इस दिशा में भी प्रयास हों। सड़क, इमारतें और कई बड़े संस्थान तो यहां शुरू हो गए हैं, मगर रोजगार के अवसर नहीं मिले। क्षेत्र की जनता को रोजगार चाहिए।

कमलनाथ यूं तो पूरे राज्य में कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों के लिए प्रचार कर रहे हैं, मगर बीच-बीच में छिंदवाड़ा भी जाते रहते हैं। वह एक दिन में कम से कम तीन और कभी-कभी उससे ज्यादा सभाएं भी करते हैं। कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के छह माह के भीतर विधायक चुना जाना है, इसलिए छिंदवाड़ा में विधानसभा उपचुनाव हो रहा है। कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना ने पद से इस्तीफा देकर कमलनाथ के लिए यह सीट खाली की है।

कमलनाथ कुछ दिनों के अंतराल पर छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र में आकर प्रचार कर जाते हैं, मगर नकुलनाथ क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। नकुलनाथ हर दिन पांच से छह जनसभाएं कर रहे हैं और 15 से ज्यादा गांवों में जाकर जनसंपर्क भी कर रहे हैं। महाकौशल क्षेत्र के राजनीतिक विश्लेषक मनीष गुप्ता का कहना है कि छिंदवाड़ा में चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जा रहा है। कांग्रेस जहां छिंदवाड़ा मॉडल का जिक्र कर रही है, वहीं भाजपा मोदी के विकास मॉडल की चर्चा करने में लगी है। कुल मिलाकर यहां चुनाव में दो नेताओं के विकास मॉडल आमने-सामने हैं। कमलनाथ और नकुलनाथ का पूरा जोर विकास पर है।

गुप्ता आगे कहते हैं कि छिंदवाड़ा में विकास हुआ है, यह किसी से छुपा नहीं है। लिहाजा, कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों ही दल यहां विकास पर आकर ठहर जाते हैं। कांग्रेस इसे कमलनाथ का छिंदवाड़ा मॉडल बताती है तो भाजपा मोदी के विकास मॉडल की बात जोर-शोर से उठाती है।

छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र आम चुनाव और विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव के लिए मतदान 29 अप्रैल को होने वाला है। छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं। यहां कांग्रेस के नकुलनाथ का मुकाबला भाजपा के नथनशाह कवरेती से है और छिंदवाड़ा विधानसभा के उपचुनाव के लिए कुल नौ उम्मीदवार मैदान में है। यहां कांग्रेस उम्मीदवार व मुख्यमंत्री कमलनाथ का मुकाबला भाजपा के विवेक साहू से है।