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Hindi News चुनाव 2024 इलेक्‍शन न्‍यूज UP Election 2022 : Rakesh Tikait ने Chunav Manch में कहा-13 महीने आंदोलन के बाद बताना पड़ेगा कि वोट किसको देना है?

UP Election 2022 : Rakesh Tikait ने Chunav Manch में कहा-13 महीने आंदोलन के बाद बताना पड़ेगा कि वोट किसको देना है?

किसानों के मुद्दों की बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार 1967 को आधार वर्ष मानकर फसलों के भाव तय कर दे और फसलों की खरीद की गारंटी दे ।

Rakesh Tikait at India TV Chunav Manch 2022- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Rakesh Tikait at India TV Chunav Manch 2022

Highlights

  • 1967 को आधार वर्ष मानकर सरकार फसलों के भाव तय कर दे-राकेश टिकैत
  • फसलों की खरीद की गारंटी दे सरकार-राकेश टिकैत
  • फसलों की कीमतें कम हैं और बाजार बहुत बढ़ गया है-राकेश टिकैत

लखनऊ: किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने इंडिया टीवी कॉन्क्लेव चुनाव मंच (Chunav Manch) में कहा कि 13 महीने का आंदोलन चलाने के बाद अगर किसी को बताना पड़ेगा कि वोट किसको देना है...इसका मतलब ट्रेनिंग कच्ची थी। उन्होंने कहा कि किसान आधे रेट में अपनी फसल बेच के जहां वोट देना है दे सकता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि फसल चुनाव आयोग नहीं खरीदता है, फसल तो सरकार खरीदती है। 

किसानों के मुद्दों की बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार 1967 को आधार वर्ष मानकर फसलों के भाव तय कर दे और फसलों की खरीद की गारंटी दे ।  सरकार फसलों के वाजिब दाम किसानों को दे । राकेश टिकैत ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि वर्ष 1967  में गेहूं का भाव 76 रुपए क्विंटल था और सरकारी कर्मचारी की सैलरी 70 रुपए थी। यानी सरकारी कर्मचारी एक महीने की सैलरी में एक क्विंटल गेहूं भी नहीं खरीद सकता था, इसी तरह 1967 में सोना 200 रुपये तोला था यानी तीन क्विंटल गेहूं बेचकर एक तोला सोना खरीदा जा सकता था। लेकिन आज हालात बिल्कुल अलग हैं।

टिकैत ने कहा कि फसलों की कीमतें कम हैं और  बाजार बहुत बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू कर दिया जाए तो गेहूं की कीमत एक हजार रुपये प्रति क्विंटल बढ़ जाएगी। उसकी खरीद की गारंटी सरकार किसानों को दे। टिकैत ने आरोप लगाया कि भारत सरकार बाहर की कंपनियों को लेकर आ रही है जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी।  उन्होंने कहा कि तीन कानून तो आनेवाली बीमारी थी। रोकथाम कर दी गई और सरकार ने वापसे ले लिया लेकिन किसानों की जो मौजूदा बीमारी है उसका इलाज नहीं किया जा रहा है। 

राकेश टिकैत ने आरोप लगाया कि आवारा पशु खेतों को बर्बाद कर रहे हैं लेकिन योजनाओं का फंड कहां जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग धोखेबाजी और जालसाजी से ये चुनाव जीतना चाहते हैं। देश पूरी तरह से बंधन में आ गया है, सारी संस्थाओं पर अवैधानिक तरीके से कब्जा हो रहा है।