नई दिल्ली: सेंसर बोर्ड अक्सर अपने फैसले को लेकर सुर्खियों में रहता है। पिछले प्रकाश झा की 'लिप्स्टिक अंडर माई बुर्का' को बैन किए जाने के फैसले के कारण सेंसर बोर्ड को काफी आलोचनाएं झेलनी पड़ी थी। लेकिन अब इसने महिलाओं की मासिक धर्म की समस्या पर बनी फिल्म 'फुल्लू' को 'ए' सर्टिफिकेट दे दिया है। इसके बाद सेंसर बोर्ड पर खूब उंगलियां उठाई जा रही हैं। सीबीएफसी के इस फैसले की वजह से सोशल मीडिय पर काफी हंगामा मचा हुआ है। कई लोगों ने उनके इस निर्णय पर गुस्सा जताया है। दरअसल लोगों का कहना है कि मासिल धर्म से जुड़ी जानकारियां किशोरियों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है तो इस फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट क्यों दिया गया है। इससे पहले फिल्म ने जब 'लिप्स्टिक अंडर माई बुर्का' को प्रमाणपत्र देने से मना किया गया था तो इस पर भी काफी बवाल हुआ था।
उस समय इसकी वजह बताते हुए सेंसर बोर्ड ने कहा था कि यह फिल्म काफी ज्यादा महिलाओं पर केन्द्रित है। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने फिल्म की भाषा और इसके सीन्स पर भी काफी आपत्ति जताई थी। हालांकि हाल ही में इस फिल्म को 'ए' सर्टिफिकेट देकर भारत में रिलीज करने की मंजूरी दे दी है। कुछ वक्त पहले ही 'फुल्लू' फिल्म का ट्रेलर जारी किया गया था। यह फिल्म 16 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। रितेश ने फिर चुराया शाहरुख की फिल्म का पोस्टर, भड़क पड़े किंग खान
गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले इस फिल्म की तुलना अक्षय कुमार की 'पैडमैन' से की जा रही थी। लेकिन बाद में इसक निर्देशक अभिषेक सक्सेना का कहना था कि "पैडमैन एक व्यक्ति द्वारा महिलाओं के लिए सस्ते सैनिटरी नैपकिन बनाने पर आधारित है। दूसरी ओर हमारी कहानी ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता और सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए है, जहां लोग पैड के अस्तित्व को नहीं जानते। इसलिए फुल्लू, पैडमैन से अलग है।"
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