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Hindi News मनोरंजन बॉलीवुड आखिर तनिष्ठा ने क्यों कहा- “मैं कलाकार हूं, कार्यकर्ता नहीं”

आखिर तनिष्ठा ने क्यों कहा- “मैं कलाकार हूं, कार्यकर्ता नहीं”

तनिष्ठा चटर्जी ने पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म ‘पार्च्ड’ में अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बना ली है। हाल ही में तनिष्ठा ने कहा कि उन्होंने सार्थक सिनेमा में काम किया है...

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पणजी: बॉलीवुड अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी ने पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म ‘पार्च्ड’ में अपने शानदार अभिनय से दर्शकों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बना ली है। हाल ही में तनिष्ठा ने कहा कि उन्होंने सार्थक सिनेमा में काम किया है जिसका उद्देश्य बदलाव लाना है लेकिन फिर भी वह कलाकार हैं कोई कार्यकर्ता नहीं। तनिष्ठा ने कहा, “मेरा मानना है कि मैं कलाकार हूं कोई कार्यकर्ता नहीं। मैं अलग-अलग फिल्मों में अलग-अलग कहानियों का हिस्सा रही और भूमिकाएं निभाईं। लेकिन मैं थोड़ा बदलाव लाने का प्रयास करती हूं क्योंकि हम कहानियों के साथ आगे बढ़ते हैं जो हमारे दिमाग में चलती रहती हैं।“ उन्होंने कहा कि कलाकार के रूप में भूमिकाएं चुनते समय उन पर काफी जिम्मेदारी होती है।

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आगे तनिष्ठा ने कहा, “अगर हम किसी बलिष्ठ पुरूष की कहानी बचपन से सुनते आएं जो लोगों की हत्याएं करता रहता है तो हम सोचते हैं कि पुरूषों को ऐसा ही करना चाहिए। हमारे दिमाग में रूढि़वादिता नहीं होती। एक कलाकार के रूप में मेरे पास यही काम है।“ उनकी हालिया बॉलीवुड फिल्म ‘पाच्र्ड’ में अजय देवगन ने फिल्म का समर्थन किया था लेकिन तनिष्ठा कहती हैं कि यह उनके लिए फिल्म उद्योग के मुख्य धारा में आने का अवसर नहीं था।

तनिष्ठा ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि ‘पाच्र्ड’ करने से मुझे बॉलीवुड की मुख्य धारा में आने में सहयोग मिलेगा। मुझे लगता है कि हमें कहानी पसंद आई इसलिए हमने फिल्म की। चूंकि अजय देवगन ने इसका निर्माण किया इसलिए फिल्म के प्रमोशन में हमें आसानी हुई।“ उन्होंने कहा, “इसका मुझसे इस बात से कोई लेना देना नहीं है कि मैं मुख्यधारा की फिल्म में आना चाहती थी बल्कि यह पूरी फिल्म के प्रति विचार और इसकी विषय वस्तु को लेकर था।“

लीना यादव के निर्देशन में बनी इस फिल्म में तनिष्ठा के अलावा राधिका आप्टे और सुरवीन चावला ने भी भूमिका निभाई। ‘पाच्र्ड’ 4 महिलाओं की कहानी है जो अपनी समस्याओं का सामना अपनी सीमाओं में करती हैं और अपनी लड़ाई खुद लड़ती हैं। मराठी फिल्म ‘सैराट’ का जिक्र करते हुए तनिष्ठा ने कहा कि सिनेमा उपदेशात्मक नहीं होना चाहिए बल्कि इसकी कथानक स्पष्ट होनी चाहिए कि जो यह दर्शकों से कहना चाहती है।

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