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Hindi News मनोरंजन हॉलीवुड आखिर क्यों हो रही है PM मोदी और एल्विस प्रेस्ली की तुलना, जानिए यहां

आखिर क्यों हो रही है PM मोदी और एल्विस प्रेस्ली की तुलना, जानिए यहां

एल्विस प्रेस्ली और पीएम मोदी में कुछ समानताएं देखने को मिलती हैं जिनकी वजह से दोनों इतने लोकप्रिय हुए। 

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हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी PM Modi की तुलना रॉक एंड रोल स्टार एल्विस प्रेस्ली Elvis Presley से की है। इसके बाद ही लोग इंटरनेट पर एल्विस प्रेस्ली को खोज रहे हैं। आखिर ट्रंप ने मोदी की तुलना प्रेस्ली से क्यों की। एक रॉकस्टार और एक राजनेता। इन दोनों में क्या समानता हो सकती है? दरअसल इन दोनों के बीच बहुत समानता है। आइए जानते हैं कि मोदी और प्रेस्ली की तुलना किन स्तरों पर की जा सकती है।

जुनूनी

पीएम मोदी की तरह प्रेस्ली भी हद दर्जे के जुनूनी थे। उनका  स्टाइल उनके मूव्स और अदाएं दर्शकों पर बिजली की तरह असर करती थी। जिस तरह मोदी ने बचपन में बहादुरी वाले कारनामे किए हैं, ठीक उसी तरह प्रेस्ली भी बचपन से ही मशहूर हो गए थे। 12 साल की उम्र में वो रेडियो पर गाने लगे थे और लोग उन्हें सुनने का इंतजार करते थे। जिस तरह मोदी घंटों तक बिना सोए काम करते हैं, उसी तरह प्रेस्ली भी बिना सोए रातों को जागकर अपना म्यूजिक बनाते थे।

हारकर जीतने वाला 

कहावत सुनी होगी आपने। हारकर जीतने वाला बाजीगर कहलाता है। ये कहावत मोदी और प्रेस्ली पर बिलकुल सटीक बैठती है। आपको याद होगा, गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर एक बार अमेरिका ने मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था। आज वही अमेरिका मोदी को सिर आंखों पर बिठा रहा है। ठीक ऐसा ही कुछ प्रेस्ली के साथ हुआ था। जब वो पहली प्रफेशनल सिंगर के तौर पर ऑडिशन देने गए तो जजों ने उन्हें बाहर निकाल दिया था। इसके बाद प्रेस्ली ने तय किया कि वो खुद के गाने रिकॉर्ड करेंगे। उनका पहला गाना हार्टब्रेक होटल इतना मशहूर हुआ कि उनका नाम हर जुबान पर चढ़ गया। 

मशहूर

मोदी की तरह प्रेस्ली भी अपने देश ही नहीं दुनिया भर में मशहूर थे। उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि उनसे मिलने की चाह में लोग उनके घर के बाहर दो दो दिन तक खड़े रहते थे। उनके गाने आते ही हिट हो जाते थे। 20वीं सदी के रॉकस्टार की बात होगी तो सबसे पहले प्रेस्ली का नाम लिया जाएगा जिनकी लोकप्रियता सीमाओं को तोड़कर दुनिया भर में फैली।

अतरंगी

मोदी के बारे में कहा गया है कि बचपन में अपने सफेद जूतो को चमकाने के लिए वो चॉक को पानी में घोलकर पॉलिश बना लिया करते थे। कुछ ऐसा ही अतरंगीपन प्रेस्ली में था। वो बाल काले करने के लिए डाई की बजाय शू पॉलिश का इस्तेमाल करते थे। दोनों को फर्क नहीं पड़ा कि कोई क्या कहेगा..अलग अंदाज में ही सही काम होना चाहिए।