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Hindi News भारत राष्ट्रीय जानिए भारत के मूल संविधान में है प्रभू राम, सीता और लक्ष्मण के अलावा है किस-किस की तस्वीर

जानिए भारत के मूल संविधान में है प्रभू राम, सीता और लक्ष्मण के अलावा है किस-किस की तस्वीर

रविशंकर प्रसाद ने संविधान दिखाते हुए कहा कि Directive principle of state policy के ऊपर प्रभू कृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का संदेश देते हुए तस्वीर है। इसके बाद उन्होंने हनुमान जी, टीपू सुलतान और अकबर की तस्वीर भी दिखाई

Aap ki Adalat- India TV Hindi Image Source : INDIA TV 'आप की अदालत' में रविशंकर प्रसाद ने दिखाया भारत का संविधान

नई दिल्ली. शनिवार को इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'आप की अदालत' में 'मुकदमा' चला कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पर। कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारत का मूल संविधान दिखाते हुए कहा कि जब ये ओरिजनल संविधान बना था तो एक चर्चा हुई नेहरू जी, अंबेडकर जी, मौलाना आजाद के बीच कि भारत के संविधान को ऐसे ही पेश कर दिया जाए। तो यह तय हुआ कि भारत की विरासत की तस्वीर इसमें रखी जाए। इसमें वेद भी है, पुराण भी हैं, गौतम बुद्ध भी हैं, भगवान महावीर भी हैं।

इसके बाद उन्होंने संविधान को दिखाते हुए कहा, "Fundamental Right के ऊपर किसकी तस्वीर है, प्रभू राम, लक्ष्मण और सीता जी के साथ लंका से अयोध्या वापस आ रहे हैं।" उन्होंने आगे संविधान दिखाते हुए कहा कि Directive principle of state policy के ऊपर प्रभू कृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का संदेश देते हुए तस्वीर है। इसके बाद उन्होंने हनुमान जी, टीपू सुलतान और अकबर की तस्वीर भी दिखाई और बताया कि संविधान में भगवान महावीर,नटराज, शिवाजी की भी तस्वीर भी है। उन्होंने कहा कि इस बात को समझना चाहिए कि संविधान में अकबर की तस्वीर है, औरंगेजब-बाबर की तस्वीर नहीं है, इस बात को समझना चाहिए।

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, "ये मैंने क्यों उठाया? देश में तिरंगा लीजिए, तिरंगा सबका है, हिंदु-मुसलमान, ईसाई का सबका है, संविधान सबका है, लेकिन कुछ लोग कहते हैं मैं संवैधानिक राष्ट्रवाद में विश्वास रखता हूं, मैं उनसे कहता हूं भईया जरा संविधान देख लो।" उन्होंने आगे सवाल करते हुए कहा, "मान लीजिए अगर ये संविधान आज बन रहा होता और संविधान के पन्नों में इन चित्रों को रखने की बात होती तो देश में क्या होता। भारत मे सेक्युलरिज्म का सत्यानाश किया जा रहा है, लेकिन मौलाना आजाद, नेहरू, अंबेडकर, राजेंद्र प्रसाद भारत की आत्मा समझते थे। यही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, जो भारत की बगिया में हर प्रकार के फूल खिलते हैं। इसे समझना बहुत जरूरी है।"

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