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Hindi News भारत राष्ट्रीय अमरनाथ यात्रा आज से शुरू, खुफिया रिपोर्ट में हमले की चेतावनी

अमरनाथ यात्रा आज से शुरू, खुफिया रिपोर्ट में हमले की चेतावनी

डीआईजी को लिखे गए खत में कहा गया है, एसएसपी अनंतनाग से प्राप्त किए गए खुफिया इनपुट के मुताबिक आतंकवादियों को 100 से 150 श्रद्धालुओं और करीब 100 पुलिस अधिकारियों की हत्या करने को कहा गया है।

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5) हिमशिवलिंग पक्की बर्फ का बनता है जबकि गुफा के बाहर मीलों तक सर्वत्र कच्ची बर्फ ही देखने को मिलती है। मान्यता यह भी है कि गुफा के ऊपर पर्वत पर श्री राम कुंड है। भगवान शिव ने माता पार्वती को सृष्टिआ की रचना इसी अमरनाथ गुफा में सुनाई थी।

6) इस गुफा की खोज बूटा मलिक नामक एक मुसलमान गडरिए ने की थी। वह एक दिन भेड़ें चराते-चराते बहुत दूर निकल गया। एक जंगल में पहुंचकर उसकी एक साधू से भेंट हो गई। साधू ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक कांगड़ी दे दी। घर पहुंचकर उसने कोयले की जगह सोना पाया तो वह बहुत हैरान हुआ। उसी समय वह साधू का धन्यवाद करने के लिए गया परन्तु वहां साधू को न पाकर एक विशाल गुफा को देखा। उसी दिन से यह स्थान एक तीर्थ बन गया।

7) भगवान शंकर ने बहुत वर्षों तक टालने का प्रयत्न किया परन्तु अंतत: उन्हें अमरकथा सुनाने को बाध्य होना पड़ा। अमरकथा सुनाने के लिए समस्या यह थी कि कोई अन्य जीव उस कथा को न सुने। इसलिए शिव जी पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, वायु, आकाश और अग्रि) का परित्याग करके इन पर्वत मालाओं में पहुंच गए और श्री अमरनाथ गुफा में पार्वती जी को अमरकथा सुनाई।

8) अमरकथा गुफा की ओर जाते हुए वह सर्वप्रथम पहलगाम पहुंचे, जहां उन्होंने अपने नंदी का परित्याग किया। उसके बाद चंदनबाड़ी में अपनी जटा से चंद्रमा को मुक्त किया। शेषनाग नामक झील पर पहुंच कर उन्होंने गले से सर्पों को भी उतार दिया। प्रिय पुत्र श्री गणेश जी को भी उन्होंने महागुणस पर्वत पर छोड़ देने का निश्चय किया। फिर पंचतरणी नामक स्थान पर पहुंच कर शिव भगवान ने पांचों तत्वों का परित्याग किया।

9) माता पार्वती के साथ ही अमरत्व का रहस्य शुक (तोता) और दो कबूतरों ने भी सुन लिया था। यह शुक बाद में शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए, जबकि गुफा में आज भी कई श्रद्धालुओं को कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है।

10) किंवदंती के अनुसार रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन भगवान शंकर स्वयं श्री अमरनाथ गुफा में पधारते हैं। रक्षा बंधन की पूर्णिमा के दिन ही छड़ी मुबारक भी गुफा में बने हिम शिवलिंग के पास स्थापित कर दी जाती है।

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