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Hindi News भारत राष्ट्रीय अमरनाथ यात्रियों के लिए अच्छी खबर, 5 जुलाई को होगी छड़ी मुबारक की पहली पूजा

अमरनाथ यात्रियों के लिए अच्छी खबर, 5 जुलाई को होगी छड़ी मुबारक की पहली पूजा

शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर है। महंत दीपेंद्र गिरी ने पवित्र छड़ी मुबारक की तारीख का एलान कर दिया है।

<p>Amarnath Yatra</p>- India TV Hindi Image Source : FILE Amarnath Yatra

शिवभक्तों के लिए अच्छी खबर है। महंत दीपेंद्र गिरी ने पवित्र छड़ी मुबारक की तारीख का एलान कर दिया है। इस साल 5 जुलाई को छड़ी मुबारक की पहली पूजा होगी। बता दें कि पारंपरिक तौर पर अमरनाथ यात्रा की छड़ी मुबारक की पहली पूजी के साथ विधि अनुसार पवित्र यात्रा की शुरुआत की जाती है। महंत दीपेंद्र गिरि ने सामान्य रूप से साधुओं और जनता की जानकारी के लिए कार्यक्रम की घोषणा की है। यह सदियों पुरानी परंपरा है। इसके अनुसार, 'भूमि-पूजन', 'नवग्रह पूजन' और 'ध्वजारोहण' की रस्मों को पूरा किया जाता है। यह छड़ी-मुबारक स्वामी अमरनाथ की यात्रा के आरंभ के अवसर पर होती है। 

महंत दीपेंद्र गिरि ने बताया कि इस वर्ष यात्रा कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए सीमित व सांकेतिक पूजा होगी। कहा कि सबसे बड़ी चुनौती देश भर से आने वाले तीर्थयात्रियों और लंगरों में मजदूरों के बीच सामाजिक दूरी को बनाए रखना होगा। बताया कि भगवती नगर जम्मू स्थित यात्री निवास को कोविड केयर सेंटर में भी परिवर्तित किया गया है। 

श्रीनगर के दशनिमी अखाड़े में अमरनाथ यात्रा जाने वाली छड़ी मुबारक की पहली पूजा होगी। इस पूरजा में देश के विभिन्न राज्यों से महंत और साधू हिस्सा लेंगे। 20 दिनों तक छड़ी मुबारक को कश्मीर के विभिन्न मंदिरों में ले जाकर छड़ी की पूजा होगी। यह सिलसिला 25 जुलाई को नाग पंचमी तक जारी रहेगा। छड़ी मुबारक को 25 जुलाई को गुफा के लिए राना किया जाएगा। गुफा पर लेजाकर, 3 अगस्त को श्रवण पूर्णिमा यानि रक्षा बंधन के दिन अंतिम पूजा होगी। जिसके साथ ही इस वर्ष की पवित्र अमरनाथ यात्रा समाप्त होगी। 

इस वर्ष 23 जून से अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली थी लेकिन कोरोना वायरस और लॉकडाउन के कारण अभी तक यात्रा को शुरू करने का अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। सूत्रों की मानें तो इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 21 जुलाई के आसपास शुरू हो सकती है। जो 3 अगस्त तक जारी रहेगी। लेकिन इस बार केवल 2000 लोगों को ही गुफा तक जाने की अनुमति होगी। जबकि पिछले साल तक करीब 15 हजार लोग प्रति दिन पहलगाम और बालटाल के रास्ते गुफा तक जाते रहे हैं। ऐसे में इस बार यात्रा में उतना जोश देखने को नहीं मिल रहा है। 

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