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Lockdown: इंसान घरों में बंद हुए तो सूनसान सड़कों पर सैर के लिए निकले जंगली जानवर

कभी पिंजरे में बंद जानवरों को देखने के लिए इंसान चिड़ियाघरों और सर्कस में जाता था लेकिन कोरोना वायरस के इस दौर में लॉकडाउन की वजह से हालात थोड़े उलट हैं, इंसान आज घरों में रहने को मजबूर हैं तो वहीं देश में कुछ इलाकों में कई विलुप्तप्राय प्रजातियों समेत जंगली जानवर सूनसान सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं।

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नई दिल्ली: कभी पिंजरे में बंद जानवरों को देखने के लिए इंसान चिड़ियाघरों और सर्कस में जाता था लेकिन कोरोना वायरस के इस दौर में लॉकडाउन की वजह से हालात थोड़े उलट हैं, इंसान आज घरों में रहने को मजबूर हैं तो वहीं देश में कुछ इलाकों में कई विलुप्तप्राय प्रजातियों समेत जंगली जानवर सूनसान सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं। भारतीय वन सेवा (IFS) के अधिकारियों ने वन्य जीवों के वीडियो साझा किए जिनमें विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चके कस्तूरी बिलाव के वीडियो भी शामिल हैं जिन्हें आखिरी बार 1990 में देखा गया था।

आईएफएस अधिकारी सुशांत नंदा ने केरल के कोझीकोड में सड़क पर घूमते कस्तूरी बिलाव का वीडियो साझा किया। उन्होंने वीडियो के साथ साझा किए गए ट्वीट में कहा, “अब सड़क पर कस्तूरी बिलाव के दिखने का वक्त है। यह जीव गंभीर रूप से खतरे में हैं और अब सिर्फ 250 वयस्क बिलाव ही बचे हैं। पश्चिमी घाट के स्थानिक, इन्हें 1990 के बाद से नहीं देखा गया था लेकिन अब मौजूदा बंद के दौरान कोझीकोड में नजर आए हैं।”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने नोएडा के सेक्टर-38 की एक तस्वीर साझा की है जिसमें नील गाय सड़क पर घूमती दिख रही है। अधिकारी ने एक अन्य वीडियो साझा किया जिसमें चीतल देहरादून की सड़कों पर दौड़ता दिख रहा है। एक अन्य आईएफएस अधिकारी प्रवीण कासवान ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसमें चंडीगढ़ में सड़क पर सांभर हिरण नजर आ रहा है। दुर्लभ प्रजाति के ऑलिव रिडले कछुओं को बड़ी संख्या में ओडिशा में ऋषिकुल्या नदी में देखा जाना भी ऐसा ही एक सुखद दृश्य है।

वन अधिकारियों को वहां बेहद दुर्लभ अलबीनो कछुआ भी मिला है। नंदा ने इसका एक वीडियो भी साझा किया है। उन्होंने वीडियो के साथ लिखा कि पहली बार वन कर्मियों को अलबीनो मिला है। पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले गौरी मुलेखी ने कहा कि कोरोना वायरस के इस दौर में इंसानी हस्तक्षेप कम होने से साफ है कि कैसे प्रकृति फिर से समृद्ध हो रही है।

उन्होंने कहा, “औद्योगिकरण और शहरीकरण के कारण हमनें दशकों तक प्रकृति का दोहन कर वन्य जीवों को भी लगभग विलुप्त होने के कगार पर ला छोड़ा है। कोरोना वायरस के इस दौर ने हमें दिखाया है कि इंसानों का दखल नहीं होने पर प्रकृति कैसे खुद को संभाल कर फिर से समृद्ध हो सकती है। शहरी इलाकों में भी यह दिल खुश कर देता है कि कैसे हर तरह के पक्षी नजर आते हैं और उनकी चहचहाहट सुनाई देती है।”

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