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Hindi News भारत राष्ट्रीय 16 लाख में डेंगू का इलाज करने वाला हॉस्पिटल, मौत से जूझती रही आद्या, 'लूटते' रहे डॉक्टर

16 लाख में डेंगू का इलाज करने वाला हॉस्पिटल, मौत से जूझती रही आद्या, 'लूटते' रहे डॉक्टर

अस्पताल का दावा है कि सिर्फ 15 दिन में आद्या के लिए पंद्रह सौ ग्लब्स लगाए गए। करीब 600 सीरिंज लगाई जो समझ से परे है जिसपर आद्या के पिता भी सवाल उठा रहे हैं। 15 दिन में 1500 ग्लब्स का मतलब है कि हर दिन 100 ग्लब्स यानि हर एक घंटे में 4 ग्लब्स। मासूम बच

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नई दिल्ली: कहते हैं बेटियां कुदरत का सबसे बड़ा उपहार होती हैं लेकिन एक लुटेरे अस्पताल ने एक पिता से उसकी बेटी का साथ छीन लिया है। ह्रदय को कचोटने वाली ये खबर जितनी दर्दनाक है उससे कहीं ज्यादा हैरान खबर क्रूर अस्पतालों का वो चेहरा है जिसके चंगुल में हर रोज ना जाने कितने लोग फंसते हैं। 7 साल की छोटी और मासूम सी बच्ची आद्या को डेंगू हुआ था। पिता ने अपनी फूल सी बेटी के इलाज में कोई कमी नहीं की और गुरुग्राम के बड़े अस्पताल में उसे एडमिट कराया। इस उम्मीद में कि वो बड़ा अस्पताल उनकी बेटी को पूरी तरह ठीक कर देगा लेकिन उन्हें क्या पता था कि हॉस्पिटल में इलाज नहीं बल्कि लूट होती है। महज 15 दिन में ही अस्पताल ने 16 लाख से ज्यादा का बिल थमा दिया लेकिन आद्या की जान नहीं बच सकी।

16 लाख खर्च नहीं बची आद्या

  • 7 साल की आद्या को 31 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया
  • आद्या को टाइप फोर डेंगू था... शॉक सिंड्रोम की वजह से बेहोश थी
  • पिता का आरोप- ब्रेन डेड होने के बाद भी अस्पताल ने सच छिपाया
  • पिता का आरोप- बेटी ब्रेन पहले ही डेड हो चुकी थी, लेकिन अस्पताल ने चेक नहीं किया
  • पिता का आरोप- काफी कहने पर अस्पताल ने बेटी का एमआरआई किया
  • पिता का आरोप- रोज कहते थे एक दिन और दे दें लेकिन हालत कभी नहीं सुधरी
  • पिता का आरोप- एक डॉक्टर ने कहा अब कुछ नहीं हो सकता, दूसरे ने कहा इलाज जारी है
  • 15 दिन के इलाज में करीब 1500 ग्लव्स लगाए और 600 सीरिंज लगाई
  • पिता का आरोप- बिलिंग में 8 घंटे का समय लगाया और एंबुलेंस भी नहीं दिया

अस्पताल का दावा है कि सिर्फ 15 दिन में आद्या के लिए पंद्रह सौ ग्लब्स लगाए गए। करीब 600 सीरिंज लगाई जो समझ से परे है जिसपर आद्या के पिता भी सवाल उठा रहे हैं। 15 दिन में 1500 ग्लब्स का मतलब है कि हर दिन 100 ग्लब्स यानि हर एक घंटे में 4 ग्लब्स। मासूम बच्ची के पिता जयंत सिंह का कहना है कि उनकी बेटी की हालत बेहद खराब थी। 31 अगस्त को एडमिट कराने के बाद से ही वो उसके एमआरआई की मांग कर रहे थे लेकिन अस्पताल ने उनकी नहीं सुनी और बिल बढाते गए।

'लुटेरे' अस्पताल का सच

एडमिशन चार्ज             ब्लड बैंक           डायग्नोस्टिक
1250                          61315              29190

डॉक्टर की फीस          दवाइयां              इक्विपमेंट चार्ज
51900                       396732              71000

इन्वेस्टिगेशन             सर्जिकल चार्ज        कन्ज्यूमेबल    
217594                    285797                273394

रूम रेंट                   अतिरिक्त               कुल
154000                   15150                   1559322

आद्या के पिता ने जो सबसे सनसनीखेज आरोप लगाया है वो बेहद ही हैरान करने वाला है। आरोपों के मुताबिक अस्पताल ने जयंत सिंह से ये पूछा कि उनके पास कितने क्रेडिट कार्ड हैं। जयंत सिंह के आरोपों के मुताबिक पहले डॉक्टरों ने कहा कि अब कुछ नहीं हो सकता तो अगले ही घंटे में ये कहा कि वो आद्या का फुल बॉडी प्लाज्मा ट्रांसप्लांट करेंगे यानी पैसे बनाने के लिए अस्पताल कुछ भी करने को तैयार था।

डॉक्टरों को भगवान का रूप कहा जाता है लेकिन जयंत के मुताबिक जब उन्होंने अपनी बच्ची को ले जाने की बात की तो अस्पताल की बेरुखी सामने आई और महज बिलिंग के नाम पर 8 घंटे बर्बाद किए गए। हैरान कर देने वाला ये मामला 14 सितंबर का है। बेटी की मौत के गम में जयंत ने कहीं इसकी चर्चा नहीं की लेकिन उनके एक दोस्त ने जब ये बात सोशल मीडिया पर डाली तो हंगामा मच गया। यहां तक कि स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी कहा कि वो अस्पताल के खिलाफ जांच कराएंगे।

जब मामला तूल पकड़ा तो अस्पताल प्रशासन ने सफाई देते हुए कहा कि 7 साल की बच्ची आद्या को दूसरे प्राइवेट अस्पताल से 31 अगस्त को लाया गया था। उसे शॉक सिंड्रोम डेंगू था। उसके ब्लड प्लेटलेट्स लगातार गिर रहे थे और इलाज के शुरुआती दौर में 48 घंटों के अंदर ही उसे वेंटिलेटर पर रखा गया। परिवार को बच्ची की नाजुक हालत के बारे में बताया गया था और 14 सितंबर को डॉक्टर की सलाह के खिलाफ परिवार बच्ची को अस्पताल से ले गए और उसी दिन बच्ची की मौत हो गई। बच्ची के इलाज में हमने सभी स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल और गाइडलाइंस का पालन किया। 20 पन्नों के बिल के बारे में परिवार को पूरी जानकारी दी गई, जब वो हॉस्पिटल छोड़कर गए।

7 साल की बच्ची आद्या की मौत के बाद सोशल मीडिया से लेकर आम जनता में अस्पताल के खिलाफ बेहद गुस्सा है। जरूरत इस बात की है कि इस मामले की सही से जांच हो और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई हो।

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