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IMA Protest News: डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ 18 जून को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा आईएमए

भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ 18 जून को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा, जिसका नारा 'रक्षकों को बचाओ' होगा।

डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ 18 जून को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा आईएमए- India TV Hindi Image Source : TWITTER डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ 18 जून को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा आईएमए

नयी दिल्ली। भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) डॉक्टरों पर हमलों के खिलाफ 18 जून को देशव्यापी प्रदर्शन करेगा, जिसका नारा 'रक्षकों को बचाओ' होगा। संघ ने एक बयान में देशभर में अपनी सभी राज्य व स्थानीय शाखाओं से काली पट्टी, मास्क, रिबन, शर्ट (सभी काले रंग का) पहनकर प्रदर्शन करने और स्वास्थ्य कर्मियों को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा के खिलाफ जागरुकता अभियान चलाने की अपील की है। 

आईएमए ने कहा कि इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन भी आयोजित किये जाएंगे और वे स्थानीय एनजीओ व स्वयंसेवी नेताओं से भी मुलाकात करेंगे। संघ ने बीते दो हफ्तों में असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और अन्य स्थानों पर डॉक्टरों के खिलाफ हुई सिलसिलेवार हिंसा को ''बेहद चिंताजनक'' करार दिया। इसने आईपीसी और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के साथ केंद्रीय अस्पताल एवं स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर संरक्षण अधिनियम को लागू करने, प्रत्येक अस्पताल में मानकीकरण और सुरक्षा बढ़ाने तथा अस्पतालों को संरक्षित क्षेत्र घोषित करने की मांग की। 

चिकित्सा निकाय ने कहा, ''आईएमए की कार्य समिति ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद हमारी चिंता, रोष और एकजुटता व्यक्त करने के लिए, 18 जून 2021 को आईएमए राष्ट्रीय विरोध दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया गया है, जिसमें 'रक्षकों को बचाओ' के नारे के साथ हमारे पेशे और पेशेवरों पर हमले को रोकने की मांग की जाएगी। 

संघ ने कहा कि 15 जून को राष्ट्रीय मांग दिवस मनाया जाएगा और देश भर में शाखाओं द्वारा संवादताता सम्मेलन आयोजित किये जाएंगे। एलोपैथी को लेकर योग गुरु रामदेव की हालिया टिप्पणियों पर आईएमए ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया चल रही है और इसका पालन किया जाएगा। संघ ने कहा, ''रामदेव ने अब सार्वजनिक रूप से नया बयान जारी कर कहा है कि 'डॉक्टर देवदूत हैं' और वह व्यक्तिगत रूप से टीकाकरण के लिए भी जाएंगे। लेकिन हमें जिस मानसिक पीड़ा / मौखिक हिंसा का सामना करना पड़ा है, वह अविस्मरणीय है।'' 

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