A
Hindi News भारत राष्ट्रीय गुजरात का एक गांव जहां का हर कुत्ता है करोड़पति

गुजरात का एक गांव जहां का हर कुत्ता है करोड़पति

इन जमीनों का रखरखाव 70-80 साल पहले कुछ पटेल किसानों ने शुरू किया था। लगभग 70 साल पहले सभी जमीन ट्रस्ट के पास आ गई। हालांकि पंचोट गांव और जमीन के दाम बढ़ने के बाद लोगों ने जमीन दान करना बंद कर दिया।

In this Gujarat village every dog is a crorepati- India TV Hindi गुजरात का एक गांव जहां का हर कुत्ता है करोड़ोंपति  

नई दिल्ली: क्या आपने किसी कुत्ते के बारे में पढ़ा है जो एक करोड़ रुपए का मालिक हो? जी हां, ये सच है। ये कुत्ते गुजरात के एक गांव में एक ट्रस्ट के नाम से पड़ी जमीन से करोड़ों कमाते हैं। दरअसल पिछले करीब एक दशक से जबसे मेहसाणा बाइपास बना है, इस गांव में स्थित जमीनों के दाम आसमान छूने लगे हैं और इसका सबसे बड़ा फायदा हुआ है गांव के कुत्तों को। जानिए क्या है इस ट्रस्ट की पूरा कहानी....

दरअसल मामला ये है कि पंचोट गांव में मेहसाणा बाईपास बनने की वजह से आसपास की जमीन की कीमतें आसमान छूने लगी हैं। एक बीघा जमीन की कीमत करीब 3.5 करोड़ रुपये है। गांव में 'मढ़ नी पति कुतरिया ट्रस्ट' है, जिसके पास 21 बीघा जमीन है। ऐसे में इस जमीन की कुल कीमत 73.5 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। ये सभी पैसे ट्रस्ट के करीब 70 कुत्तों के कल्याण में खर्च किए जाते हैं। हर साल बोवाई से पहले जमीन की बोली लगाई जाती है। जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है, उसे एक साल के लिए जमीन दे दी जाती है। इस नीलामी में लगभग 1 लाख तक की रकम मिल जाती है जो ट्रस्ट और कुत्तों की देखभाल में खर्च होते हैं।

ट्रस्ट के अध्यक्ष छगनभाई पटेल कहते हैं कि कुत्तों के लिए अलग से संपत्ति रखने की परंपरा गांव में बहुत पुरानी है। इसकी शुरुआत अमीर घरानों द्वारा हुई थी, जो वो छोटी जमीनें दान में दे दिया करते थे, जिन्हें संभालने में दिक्कत होती थी। उन्होंने आगे कहा, 'उस वक्त जमीनों की कीमत ज्यादा नहीं हुआ करती थी। कई बार तो संपत्ति के मालिक इसलिए जमीन दान करते थे क्योंकि वो टैक्स नहीं भर पाते थे और दान उनकी जिम्मेदारी बांट देता था।'

उन्होंने बताया कि इन जमीनों का रखरखाव 70-80 साल पहले कुछ पटेल किसानों ने शुरू किया था। लगभग 70 साल पहले सभी जमीन ट्रस्ट के पास आ गई। हालांकि पंचोट गांव और जमीन के दाम बढ़ने के बाद लोगों ने जमीन दान करना बंद कर दिया। छगनभाई पटेल ने बताया कि भले ही जमीन ट्रस्ट को दे दी गई हो, लेकिन कागजात में अभी भी पुराने मालिक का ही नाम है।

उन्होंने कहा, 'जमीन का कोई भी मालिक जमीन वापस लेने नहीं आया। जानवरों या सामाजिक कार्य के लिए दान में दी गई जमीन को वापस लेना गांव में बुरा माना जाता है।' ये ट्रस्ट सिर्फ कुत्तों के लिए ही नहीं, बल्कि बाकी जानवरों के कल्याण के लिए भी काम करता है। ट्रस्ट को हर साल पक्षियों के लिए 500 किलो तक अनाज दाना में मिलता है।

Latest India News