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Hindi News भारत राष्ट्रीय दुनिया में चौथी सबसे ताकतवर बनी भारतीय सेना, जानें कहां है चीन-पाकिस्तान

दुनिया में चौथी सबसे ताकतवर बनी भारतीय सेना, जानें कहां है चीन-पाकिस्तान

जीएफपी की रिपोर्ट के अनुसार भारत सैनिक क्षमता के मामले में चीन से आगे है। भारत के पास कुल 42,07,250 सैनिक हैं जबकि चीन के पास केवल 37,12,500 जवान हैं। हालांकि चीन के पास 22,60,000 सक्रिय सैनिक हैं जबकि भारत के पास 13,62,500 सक्रिय सैनिकों की फौज है।

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नई दिल्ली: दुनिया की सबसे ताकतवर 5 सेनाओं में भारतीय सेना भी शामिल हो गई है। चर्चित ग्लोबल फायरपावर सूची में उसे चौथा स्थान मिला है। इस लिस्ट में सैन्य संसाधन, प्राकृतिक संसाधन, उद्योग और भौगोलिक स्थिति और उपलब्ध मानव संसाधन प्रमुख हैं। सूची में देशों की परमाणु ताकत को नहीं गिना गया है लेकिन परमाणु हथियारों की क्षमता को अंक जरूर दिए गए हैं। रक्षा बजट भी इस आकलन में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

इस सूची में चीन भारत से एक पायदान आगे यानी तीसरे स्थान पर है। अमेरिका अब भी शीर्ष पर है। दूसरा स्थान रूस के पास है। सैन्य ताकत के लिहाज से 133 देशों की इस सूची में पहले 10 स्थानों पर ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, तुर्की और जर्मनी भी शामिल हैं। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को इस सूची में 13वें स्थान पर जगह मिली है। इस सूची में यह भी कहा गया है कि चीन जिस रफ्तार से अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है उसे देखते हुए कुछ ही समय में वह रूस को पीछे छोड़कर दूसरे स्थान पर काबिज हो जाएगा।

जीएफपी की रिपोर्ट के अनुसार भारत सैनिक क्षमता के मामले में चीन से आगे है। भारत के पास कुल 42,07,250 सैनिक हैं जबकि चीन के पास केवल 37,12,500 जवान हैं। हालांकि चीन के पास 22,60,000 सक्रिय सैनिक हैं जबकि भारत के पास 13,62,500 सक्रिय सैनिकों की फौज है। भारत की रिजर्व बटालियन की शक्ति 28,44,750 है वहीं चीन की यह 14,52,500 है। वही रक्षा बजट के मामले में भारत चीन के कहीं पीछे  है। सूचकांक के मुताबिक भारत के रक्षा बजट से तीन गुना चीन सेना पर खर्च करता है।

दुनिया भर के देशों की सैन्य ताकत परखने और इस सूची को तैयार करने के लिए ग्लोबल फायरपावर हर मुल्क की क्षमताओं को 50 अलग-अलग मानकों पर परखती है। इसमें सैन्य संसाधनों के साथ प्राकृतिक संसाधनों, उद्योगों, भौगोलिक परिस्थितियों और श्रम शक्ति को परखा जाता है। नाभिकीय हथियारों के जखीरे को तो इसमें नहीं गिना जाता। हालांकि परमाणु हथियारों की क्षमता रखने वाले देशों को अतिरिक्त अंक दिए जाते हैं। रक्षा बजट भी इस आकलन में अहम स्थान रखता है।

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