A
Hindi News भारत राष्ट्रीय जसवंत सिंह: नहीं रहे वाजपेयी के 'हनुमान', अटल सरकार में विदेश, रक्षा और वित्त तीनों पोर्टफोलियो संभाले

जसवंत सिंह: नहीं रहे वाजपेयी के 'हनुमान', अटल सरकार में विदेश, रक्षा और वित्त तीनों पोर्टफोलियो संभाले

अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। राजस्थान के बाड़मेर से आने वाले जसवंत सिंह ने विदेश और रक्षा मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी संभाली थी। वो भारतीय सेना में मेजर भी रहे थे।

Atal Bihari Vajpayee and Jaswant Singh- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Atal Bihari Vajpayee and Jaswant Singh

नई दिल्ली: अटल सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह का रविवार को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। राजस्थान के बाड़मेर से आने वाले जसवंत सिंह ने विदेश और रक्षा मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी संभाली थी। वो भारतीय सेना में मेजर भी रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके उनकी मृत्यु पर गहरा शोक जताया है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि वे राजनीति और समाज को लेकर अपने अलग तरह के नजरिए के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। भाजपा को मजबूत करने में भी उनका खासा योगदान था। मैं उनके साथ हुई चर्चाओं को हमेशा याद रखूंगा। उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।

जसवंत सिंह का जन्म 3 जनवरी 1938 को राजस्थान के बाड़मेर जिले के गांव जसोल में राजपूत परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ठाकुर सरदारा सिंह और माता कुंवर बाईसा थीं। मेयो कॉलेज अजमेर से बीए, बीएससी करने के अलावा उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून और खड़गवासला से भी सैन्य प्रशिक्षण लिया। वे पंद्रह की उम्र में भारतीय सेना में शामिल हो गए। जोधपुर के पूर्व महाराजा गजसिंह के करीबी जसवंतसिंह 1960 के दशक में वे भारतीय सेना में अधिकारी थे।

जसवंत सिंह 1980 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए और 1996 में उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वित्तमंत्री बनाया गया था। हालांकि वह 15 दिन ही वित्तमंत्री रहे और फिर वाजपेयी सरकार गिर गई। दो साल बाद 1998 में दोबारा वाजपेयी की सरकार बनने पर उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया। विदेशमंत्री के रूप में उन्होंने भारत-पाकिस्तान संबंधों को सुधारने की पूरी कोशिश की। 2000 में उन्होंने भारत के रक्षामंत्री का कार्यभार भी संभाला। 2001 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ सांसद का सम्मान भी मिला। फिर साल 2002 में यशवंत सिन्हा के स्थान पर उन्हें वित्तमंत्री बनाया गया और मई 2004 तक उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में कार्य किया।

बता दें कि जसवंत सिंह को अटल बिहारी वाजपेयी का हनुमान कहा जाता रहा है। एनडीए के कार्यकाल में वे अटल जी के लिए एक संकटमोचक की तरह रहे। 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद जब भारत आर्थिक प्रतिबंधों की आंधी में फंसा था तब दुनिया को जवाब देने के लिए वाजपेयी ने उन्हें ही आगे किया था।

2009 को भारत विभाजन पर उनकी किताब जिन्ना-इंडिया, पार्टिशन, इंडेपेंडेंस पर खासा बवाल हुआ। नेहरू-पटेल की आलोचना और जिन्ना की प्रशंसा के लिए उन्हें भाजपा से निकाल दिया गया। इसके कुछ दिनों बाद लालकृष्ण आडवाणी के प्रयासों से पार्टी में उनकी सम्मानजनक वापसी भी हो गई। लेकिन 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में उन्हें पार्टी ने बाड़मेर से सांसद का टिकट नहीं दिया। इतना ही नहीं अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए एक बार फिर उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित भी कर दिया गया। उन्हें कर्नल सोनाराम के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।

Latest India News