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Hindi News भारत राष्ट्रीय करीब 10 लाख लोगों ने दी भीमा-कोरेगांव स्मारक पर श्रद्धांजलि, सुरक्षा के थे ऐसे इंतजाम

करीब 10 लाख लोगों ने दी भीमा-कोरेगांव स्मारक पर श्रद्धांजलि, सुरक्षा के थे ऐसे इंतजाम

कोरेगांव भीमा लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के कार्यक्रम में जातिगत संघर्ष के एक साल बाद, मंगलवार को यहां आठ से दस लाख लोगों ने भारी सुरक्षा के बीच ‘जय स्तम्भ’ स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

<p>कोरेगांव भीमा लड़ाई...- India TV Hindi Image Source : PTI कोरेगांव भीमा लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के कार्यक्रम में जातिगत संघर्ष के एक साल बाद, मंगलवार को यहां आठ से दस लाख लोगों ने भारी सुरक्षा के बीच ‘जय स्तम्भ’ स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की।

पुणे: भीमा-कोरेगांव लड़ाई की वर्षगांठ मनाने के कार्यक्रम में जातिगत संघर्ष के एक साल बाद, मंगलवार को यहां आठ से दस लाख लोगों ने भारी सुरक्षा के बीच ‘जय स्तम्भ’ स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। ‘जय स्तम्भ’ स्मारक को दलित अपने गौरव का प्रतीक मानते हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि ‘‘बेहतर योजना’’ और ‘‘स्थानीय लोगों से सहयोग’’ की बदौलत दिन शांतिपूर्ण रहा।

मंगलवार का कार्यक्रम पिछले साल से काफी अलग था क्योंकि पिछले साल जहां इस कार्यक्रम को लेकर जातिगत संघर्ष हुआ था, वहीं मंगलवार को कार्यक्रम में सौहार्दपूर्ण माहौल दिखा। स्थानीय लोगों ने श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों का स्वागत गुलाब देकर किया। स्थानीय लोगों ने उन्हें पानी और नि:शुल्क भोजन भी उपलब्ध कराया। मदद और स्वागत का ये सिलसिला सोमवार से ही चल रहा था।

पिछले साल हुई हिंसा के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियां ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी के जरिए चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए थीं। पिछले साल हुए हिंसा के पीछे पुलिस कथित माओवादी संपर्कों की जांच कर रही है। पुलिस का मानना है कि हिंसा 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद के सम्मेलन में हुए भड़काऊ भाषणों के चलते भड़की थी।

पुलिस ने बताया कि कम से कम पांच हजार पुलिसकर्मी, 1,200 होमगार्ड, राज्य रिजर्व पुलिस बल की 12 कंपनियां और 2,000 दलित स्वयंसेवी पेरने गांव के आसपास तैनात किए गए, जहां लोगों ने स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ ही 500 सीसीटीवी कैमरे, 11 ड्रोन कैमरे और 40 वीडियो कैमरे लगाए गए।

बता दें कि कोरेगांव भीमा में एक जनवरी 1818 को हुई लड़ाई में मारे गए सैनिकों की याद में ब्रितानिया हुकूमत ने ‘जय स्तम्भ’ खड़ा किया था। पुलिस के अनुसार मराठवाड़ा, विदर्भ और उत्तरी महाराष्ट्र के दूरदराज के इलाकों और देश के अन्य हिस्सों से भी लोग श्रद्धांजलि देने  यहां आए थे। पेरने गांव के एक निवासी ने कहा, ‘‘ये इतिहास में पहली बार है जब दलित समुदाय के लोग इतनी बड़ी संख्या में जय स्तंभ पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे हैं।’’

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