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लश्कर ए तैयबा बाल ठाकरे को मारना चाहती थी, हेडली ने अदालत को बताया

मुंबई: 11 मुंबई हमलों के सिलसिले में अमेरिका में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली ने आज अदालत को बताया कि लश्कर ए तैयबा बाल ठाकरे को कत्ल करना चाहती थी लेकिन जिस शख्स

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मुंबई: 11 मुंबई हमलों के सिलसिले में अमेरिका में दोषी ठहराए गए पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकी डेविड हेडली ने आज अदालत को बताया कि लश्कर ए तैयबा बाल ठाकरे को कत्ल करना चाहती थी लेकिन जिस शख्स को दिवंगत शिवसेना प्रमुख की हत्या करने का काम सौंपा गया था उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। आतंकी मामले में वादा माफ गवाह बने 55 वर्षीय हेडली ने यह बात अबु जुंदाल के वकील अब्दुल वहाब खान के साथ जिरह के दौरान दूसरे दिन अमेरिकी से वीडियो लिंक के माध्यम से कही। जुंदाल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले का कथित मुख्य साजिशकर्ता है।

शिवसेना भवन का किया था दो बार मुआयना

हेडली ने अदालत को यह भी बताया कि उसने शिवसेना भवन का दो बार मुआयना किया था, लेकिन वह वहां जाने का वर्ष नहीं बता सका। उसने कहा, हम शिवसेना प्रमुख को निशाना बनाना चाहते थे। उनका नाम बाल ठाकरे था। जब कभी मौका मिलता लश्कर उन्हें मारना चाहती थी। मैं जानता था कि बाल ठाकरे शिवसेना के अध्यक्ष थे। मेरे पास प्रत्यक्ष सूचना नहीं है लेकिन मेरे ख्याल से लश्कर ने बाल ठाकरे को मारने की कोशिश की थी। हेडली ने कहा, मैं नहीं जानता कि यह कोशिश कैसे की गई। मेरे ख्याल से उस व्यक्ति को (जिसे ठाकरे को मारने के लिए भेजा गया था) गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन वह पुलिस हिरासत से फरार होने में सफल रहा। बहरहाल, मुझे इस बारे में प्रत्यक्ष जानकारी नहीं है।

हेडली ने जुंदाल के खिलाफ 26/11 आतंकी मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश जीए सनप को यह भी बताया कि उसे यह जानकारी नहीं है कि ठाकरे के अलावा लश्कर के निशाने पर और कौन था। हेडली ने कल बताया कि अमेरिका ने एक बार उसकी पाकिस्तान यात्रा का वित्तपोषण किया था तथा यह भी दावा किया कि उसने मुम्बई आतंकवादी हमले से दो वर्ष पहले वर्ष 2006 तक लश्कर को करीब 70 लाख रूपये का दान दिया। हालांकि उसने इन रिपोर्टों का खंडन किया कि उसे लश्कर से पैसे मिले थे।

60 से 70 लाख से अधिक पाकिस्तानी रूपयों की धनराशि लश्कर को की थी दान

हेडली ने अदालत को बताया, मैंने लश्कर से कभी धन प्राप्त नहीं किया, यह पूरी तरह से अनर्गल बात है। मैंने लश्कर को खुद ही धन दिया था। मैं जब तक उससे जुड़ा रहा मैंने उस अवधि के दौरान उसे 60 से 70 लाख से अधिक पाकिस्तानी रूपयों की धनराशि दान दी। मेरा आखिरी दान 2006 में था। उसने यह भी बताया कि 1998 में उसकी गिरफ्तारी के बाद अमेरिका की ड्रग एनफॉर्समेंट अथॉरिटी :डीईए: ने उसकी यात्रा को वित्तोषित किया था। उसने अदालत को यह भी बताया कि 1988 और 1998 में मुबई हमले से पहले कथित मादक पदार्थ तस्करी के मामले में उसे दो बार दोषी ठहराया गया था और वह आपराधिक गतिविधियों में शामिल था और उसने अमेरिकी सरकार के साथ वादा माफ गवाह बनने के समझौतों का उल्लंघन किया था।

अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहे हेडली ने अदालत को यह भी बताया कि उसके सहयोगी एवं पाकिस्तानी निवासी तथा शिकागो में आव्रजन परामर्श सेवा चलाने वाले तहव्वुर राणा को यह जानकारी थी कि वह आतंकवादी संगठन लश्कर का कारिंदा है। हेडली ने यह भी बताया कि राणा 26/11 आतंकवादी हमले से ठीक पहले मुम्बई आया था तथा उसने उसकी गिरफ्तारी से पहले तक उससे संबंध बनाये रखा।

हेडली ने पत्नी शाजिया के बारे में सवालों के जवाब देने से किया इनकार

बहरहाल, हेडली ने अपनी पत्नी शाजिया के बारे में सवालों के जवाब देने से इनकार कर दिया और यह भी बताने से मना कर दिया कि उसकी पत्नी अमेरिका या पाकिस्तान में है तथा उसके पिता का नाम भी उजागर करने से इनकार दिया। उसने कहा, शाजिया अब भी कानूनी रूप से मेरी पत्नी है। मैं वर्तमान में शाजिया के निवास स्थान के बारे में नहीं बताउंगा। मैं अपनी पत्नी शाजिया के बारे में किसी भी सवाल का जवाब नहीं देना चाहता। जब खान ने शाजिया के बारे में सवाल करना जारी रखा तो सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि भारत साक्ष्य कानून की धारा 122 के तहत पति और पत्नी के बीच में हुई बातचीत को जाहिर करने की जरूरत नहीं होती है।

पाकिस्तानी अमेरिकी आतंकवादी की पहली गवाही का दौर अमेरिका से एक वीडियो लिंक के माध्यम से मुंबई के सत्र अदालत के समक्ष एक हफ्ता लंबी चला था और फरवरी को खत्म हुआ था। हेडली ने अपनी पहली गवाही में बताया था कि कैसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने आर्थिक, सैन्य और नैतिक समर्थन आतंकी संगठन लश्कर, जैश-ए-मोहम्मद और हिज्बुल मुजाहिदीन को उपलब्ध कराया था और लश्कर ने कैसे 26/11 आतंकी हमले की योजना बनाई और उसे अंजाम दिया। उसने यह भी दावा किया था कि गुजरात में कथित फर्जी मुठभेड़ में मारी गईं इशरत जहां लश्कर की कारिंदा थी।

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