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Hindi News भारत राष्ट्रीय प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की पहली यात्रा, करेंगे दक्षिण के द्वारिका में कृष्ण के दर्शन

प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी की पहली यात्रा, करेंगे दक्षिण के द्वारिका में कृष्ण के दर्शन

यहां के पूजारी बताते हैं उनके मुताबिक देवगुरु बृहस्पति को कलियुग की शुरुआत में भगवान कृष्ण की एक मूर्ति मिली थी और उसके बाद गुरु बृहस्पति ने भगवान वायु के साथ मिलकर मंदिर और मूर्ति की स्थापनी की।

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नई दिल्ली: योगी आदित्यनाथ आज जहां अयोध्या पहुंच रहे हैं तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कृष्ण भक्ति में लीन होने दक्षिण की ओर रुख कर रहे हैं। पीएम मोदी केरल के प्रसिद्ध गुरुवयूर और तिरुपति मंदिर दर्शन के लिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री मंदिर दर्शन के साथ ही मालदीव और श्रीलंका भी जाएंगे। जिस मंदिर को दक्षिण की द्वारिका कहते हैं, उस द्वारिका मंदिर के द्वार पर पीएम मोदी मत्था टेकने पहुंचने वाले हैं। पिछली बार जीत मिली थी तो 2015 में दक्षिण के मशहूर पद्मनाभस्वामी मंदिर में पीएम मोदी ने पूजा की थी।

इस बार पीएम मोदी धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर समेटे गुरुवायूर के गरुवायुरप्पन मंदिर के साथ-साथ तिरुपति बाला जी के मंदिर में विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने वाले हैं। जिस गुरुवायूर के गरुवायुरप्पन मंदिर को दुनिया दक्षिण की द्वारिका के नाम से भी जानती है और जिस मंदिर में भगवान कृष्ण, गरुवायुरप्पन के रूप में विराजमान हैं, वहां पीएम मोदी भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेंगे।

भगवान कृष्ण के इस मंदिर में पीएम मोदी पूरे दक्षिण भारतीय परंपराओं के मुताबिक दर्शन करेंगे। प्रधानमंत्री के दौरे की वजह से मंदिर को ख़ासतौर पर सजाया गया है। मंत्रोच्चार के साथ नरेंद्र मोदी की पूजा संपन्न होगी और फिर पीएम मालदीव के लिए रवाना हो जाएंगे।

पीएम मोदी आज रात दिल्ली से केरल जायेंगे और रात में वहीं रुक जाएंगे। 8 जून को सुबह केरल के प्रसिद्ध गुरुवयूर मंदिर में दर्शन करेंगे और उसके बाद उसी दिन मालदीव के लिये रवाना हो जायेंगे। 9 जून को पीएम मोदी मालदीव से श्रीलंका जायेंगे और 9 जून को श्रीलंका से लौटते वक्त पीएम मोदी तिरुपति मंदिर में दर्शन करेंगे।

मोदी शनिवार को गुरुवायूर के जिस गरुवायुरप्पन मंदिर में जाने वाले हैं, वहां भक्तों की आस्था चरम पर होती है। चारों ओर जय-जय गुरुवायूर के जयकारे होते हैं। हजारों मान्यताएं हैं इस मंदिर से जुड़ी, सैकड़ों कथाएं हैं लेकिन जो कहानी यहां के पूजारी बताते हैं उनके मुताबिक देवगुरु बृहस्पति को कलियुग की शुरुआत में भगवान कृष्ण की एक मूर्ति मिली थी और उसके बाद गुरु बृहस्पति ने भगवान वायु के साथ मिलकर मंदिर और मूर्ति की स्थापनी की।

गुरुवायुरप्पन मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति के चार हाथ हैं और भगवान ने एक हाथ में शंख और दूसरे में सुदर्शन चक्र पकड़ा है जबकि भगवान ने तीसरे और चौथे में कमल धारण कर रखा है। इस मंदिर को ‘पृथ्वी पर भगवान विष्णु का वास के नाम से भी जाना जाता है।

प्रधानमंत्री 9 जून को तिरुपति भी जाएंगे। पिछली बार पीएम जब तिरुपति आए थे तो उन्होंने कई योजनाओं का शिलान्यास भी किया था। इस बार गुरुवायूर के लोगों को वैसी ही उम्मीद है। दोनों मंदिरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। सैकड़ों साल बाद दोनों मंदिरों के आसपास के इलाकों का स्वरूप तो बहुत बदल गया है लेकिन कुछ नहीं बदला है तो भगवान के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा और यही श्रद्धा प्रधानमंत्री को इन मंदिरों तक खींच ला रही है।

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