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Hindi News भारत राष्ट्रीय राजकोट में बोले पीएम मोदी, 'दिव्यांगजनों की छोटी-छोटी जरूरतों का ख्याल रखना होगा'

राजकोट में बोले पीएम मोदी, 'दिव्यांगजनों की छोटी-छोटी जरूरतों का ख्याल रखना होगा'

पीएम नरेंद्र मोदी ने राजकोट में एक सभा को संबोधित करते हुए जहां दिव्यांगजनों की सुविधाओं का ख्याल रखना समाज की जिम्मेदारी बताया वहीं राजकोट के लोगों आभार जताते हुए कहा कि अगर राजकोट ने मुझे चुनकर गांधीनगर नहीं भेजा होता तो देश ने मुझे दिल्ली नहीं पहु

Narendra Modi- India TV Hindi Image Source : ANI Narendra Modi

राजकोट: पीएम नरेंद्र मोदी ने राजकोट में एक सभा को संबोधित करते हुए जहां दिव्यांगजनों की सुविधाओं का ख्याल रखना समाज की जिम्मेदारी बताया वहीं राजकोट के लोगों आभार जताते हुए कहा कि अगर राजकोट ने मुझे चुनकर गांधीनगर नहीं भेजा होता तो देश ने मुझे दिल्ली नहीं पहुंचाया होता। मुझे पीएम बनाने में राजकोट का विशेष महत्व है।राजकोट से मुझे भरपूर प्यार मिला, मैं इस प्यार को नहीं भूल सकता। जब मुझे पीएम चुना गया तो उस दिन मैंने कहा था कि यह सरकार गरीबों को समर्पित है।

दिव्यांगों के लिए हमने कई फैसले लिए,

दिव्यांगों के लिए हमने कई फैसले लिए। यह हमारी सरकार की संवेदनशीलता का उदाहरण है। दिव्यांगजनों के चेहर पर जो संतोष दिखता है तो लगता है कि इससे बढ़कर दूसरी सेवा और क्या हो सकती है। दिव्यांगजनों की छोटी-छोटी जरूरतों का ख्याल रखना होगा। अगर हम सोसायटी और फ्लैट बनाएं तो दिव्यांगजनों की सुविधाओं का ख्याल रखना होगा। अब नई इमारतों के निर्माण में दिव्यांगजनों के लिए विशेष व्यवस्था जरूरी कर दिया गया। गुजरात की सरकार भी इस दिशा में काम रही है। आज 18 हजार से ज्यादा दिव्यांगजन यहां मौजूद हैं।

एक रुपये प्रति दिन और प्रति माह पर बीमा की सुविधा

​हमने एक इंश्योरेंस स्कीम लाया है, एक महीने में एक रूपया देकर गरीब से गरीब मेरे दिव्यांग भाई भी इंश्योरेंस करा सकता है। साल में 12 रुपये देकर 2 लाख का इंश्योरेंस ले सकता है। इसके अलावा रोजना एक रुपये के हिसाब से भी इंश्योरेंस की स्कीम सरकार की ओर से चल रही है। यह इंश्योरेंस सामान्य जनता के लिए तो है ही दिव्यांगों से मेरा विशेष अनुरोध है कि वे लोग इससे जुड़ें। 

2022 तक हर घर को छत दिलाने का संकल्प

आजादी के 70 साल बीत गए करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास अपना घर नहीं है। 2022 तक हर परिवार के पास अपना छत हो ऐसी व्यवस्था हम कर रहे हैं। काम बहुत बड़ा है मैं जानता हूं। जिस काम को 70 साल में नहीं कर सके उसे पांच साल में पूरा करने में काफी परेशानी होती है। 

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