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Hindi News भारत राष्ट्रीय राहुल गांधी का सबसे नया 'राफेल बम' भी बेदम, आधी चिट्ठी को पूरा सबूत कैसे मान लिया?

राहुल गांधी का सबसे नया 'राफेल बम' भी बेदम, आधी चिट्ठी को पूरा सबूत कैसे मान लिया?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एकबार फिर राफेल मुद्दे पर सवाल उठाए। उन्होंने एक अखबार में छपी खबर को सबूत के तौर पर पेश किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया।

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नई दिल्ली:  कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को एकबार फिर राफेल मुद्दे पर सवाल उठाए। उन्होंने एक अखबार में छपी खबर को सबूत के तौर पर पेश किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला किया। असल में राहुल गांधी द हिंदू अखबार में छपी डिफेंस मिनिस्ट्री की इंटरनल लेटर की नोटिंग डीटेल्स लेकर आए थे। ये डीटेल्स राफेल डील से जुड़ी थी। राफेल राहुल गांधी का फेवरेट टॉपिक रहा है, राहुल को लगा उन्हें प्रधानमंत्री मोदी को घेरने का नया हथियार मिल गया है। उन्होंने तुरंत वो खबर उठायी, जो चिट्ठी द हिंदू अखबार ने छापी थी उसे लेकर प्रेस कांफ्रेंस करने चले आए, और अखबार ने जो नोटिंग छापी थी उसे लेकर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाए। लेकिन कुछ ही देर बाद जब डिफेंस मिनिस्ट्री ने बताया कि राहुल गांधी ने जो चिट्ठी दिखाई वो आधी थी। 

राफेल डील पर ये नोटिंग 24 नवंबर 2015 की है, इसमें लिखा गया है कि प्राइम मिनिस्टर्स ऑफिस की तरफ से फ्रांस सरकार से पैरलल नेगोसिएशन हो रहे हैं, जिससे डिफेंस मिनिस्ट्री की नेगोशिएटिंग टीम की पोजिशन कमजोर पड़ रही है। उस वक्त के रक्षा मंत्री को लिखा गया था कि वो इसपर ध्यान दें, पीएमओ को सलाह दें कि जो भी ऑफिसर इस नेगोशिएटिंग टीम का हिस्सा नहीं हैं वो पैरलल बातचीत न करे। अगर पीएमओ डिफेंस मिनिस्ट्री के नेगोसिएशन से संतुष्ट नहीं है तो नए गाइडलाइंस बना कर, नए तौर तरीके से नेगोशिएट कर सकते हैं।

इसपर उस वक्त के डिफेंस सेक्रेट्री जी मोहन कुमार ने अपना ऑबजर्वेशन दिया कि पीएमओ को ऐसी बातचीत से बचना चाहिए, इससे हमारी नेगोसिएशन कमजोर होगी।  द हिंदू अखबार ने नोटिंग का सिर्फ इतना हिस्सा छापा, और उसे लेकर राहुल गांधी ने पूरी प्रेस कांफ्रेंस कर दी, और प्रधान मंत्री को चोर कह दिया।

लेकिन इसके बाद उस नोटिंग का बाकी हिस्सा भी सामने आया। उसके नीचे उस वक्त के डिफेंस मिनिस्टर के ऑब्जर्वेशन लिखे थे, उसके बारे में न अखबार ने कुछ लिखा, ना ही राहुल गांधी ने कुछ बताया, लेकिन मैं आपको बताता हूं कि उस नोटिंग पर डिफेंस मिनिस्टर का क्या फाइनल ऑब्जर्वेशन था। जब ऑफिसर ने कोई सवाल उठाए थे, तो ये डिफेंस मिनिस्टर का फर्ज बनता था कि उसे क्लैरिफाई करें, और उस वक्त के डिफेंस मिनिस्टर मनोहर पर्रिकर ने ऐसा ही किया।

उन्होंने लिखा कि ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय और फ्रांस के राष्ट्रपति का दफ्तर इस डील पर नजर रख रहा है, क्योंकि दो देशों के बीच जो समिट हुई थी उसमें इस पर सहमति बनी है.. ये उसी का परिणाम है, पैरा 5 में जो बातें लिखी गयी हैं वो ओवर रिएक्शन है। रक्षा सचिव इस मामले को प्रधानमंत्री के सचिव से बात कर सुलझाएं।

इस पूरे नेगोशिएशन को लीड कर रहे एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने इंडिया टीवी से बात करते हुए कहा कि वे बार बार कहते आ रहे हैं कि राफेल दो सरकारों के बीच हुई डील है, इसमें पैसा खाने जैसी कोई बात हो ही नहीं सकती। इसमें कहीं कोई गलती नहीं है। एयर मार्शल एसबीपी सिन्हा ने कहा कि जिस डेप्यूटी सेक्रेट्री एस के शर्मा की नोटिंग पर ये विवाद हुआ है, वो नेगोसिएशन के किसी भी लेवल में शामिल नहीं थे। 

राहुल के इस वार का जवाब दिया केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने। उन्होंने राहुल गांधी पर बेहद गंभीर आरोप लगाए, पूछा कि राहुल गांधी बताएं कि राफैल डील रद्द करवाने के लिए किन कंपनियों से वो डील करके आए हैं... जब वो यूरोप गए थे किन कंपनियों के CEOs से मिले थे।

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