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Hindi News भारत राष्ट्रीय संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पढ़ा अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर, कही यह बात

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पढ़ा अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर, कही यह बात

"दुनिया के बाकी देशों के प्राचीन जीवन मूल्य मिट गए। कई देशों का तो नामो-निशान ही मिट चुका है। परंतु हमारे जीवन मूल्य अब तक नहीं बदले हैं। 

RSS Chief, Mohan Bhagwat- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO RSS Chief Mohan Bhagwat

इंदौर (मध्य प्रदेश)| वक्त के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद भारत में हिंदू समुदाय के प्राचीन जीवन मूल्य कायम रहने का जिक्र करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को उर्दू शायर अल्लामा इकबाल का मशहूर शेर-‘‘यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहाँ से, कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।’’ पढ़ा। भागवत ने यहां एक परिवार द्वारा शुरू किए गए न्यास के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, "हिंदू समाज ने प्राचीन समय से लेकर आज तक कई बातें झेली हैं, तो कई उपलब्धियां हासिल भी की हैं। पिछले पांच हजार वर्षों में आए उतार-चढ़ावों के बावजूद हिंदू समाज के प्राचीन जीवन मूल्य भारत में आज भी प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिलते हैं।" 

उन्होंने कहा, "दुनिया के बाकी देशों के प्राचीन जीवन मूल्य मिट गए। कई देशों का तो नामो-निशान ही मिट चुका है। परंतु हमारे जीवन मूल्य अब तक नहीं बदले हैं। इसलिए इकबाल ने कहा है- "यूनान, मिस्र, रोमां, सब मिट गए जहां से….कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी।" भागवत ने आगे कहा, " और यह बात है-हमारा धर्म। यहां धर्म से तात्पर्य किसी संप्रदाय विशेष से नहीं, बल्कि मनुष्यों के सह अस्तित्व से जुड़े मूल्यों से है। धर्म समन्वित और संतुलित तरीके से जीवन जीने का तरीका है जिसमें महत्व इस बात का है कि हम दूसरों को क्या दे रहे हैं और उनके भले के लिए क्या कर रहे हैं?" संघ प्रमुख ने परोपकार की भावना पर जोर देते हुए कहा कि भौतिकता के तमाम बदलावों के बावजूद भारत में दान की परंपरा हमेशा जीवंत रहनी चाहिए।

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