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Hindi News भारत राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा की आज महत्वपूर्ण बैठकें, अंतिम रोड मैप होगा तैयार, सीएम खट्टर बोले-MSP पर कानून संभव नहीं

संयुक्त किसान मोर्चा की आज महत्वपूर्ण बैठकें, अंतिम रोड मैप होगा तैयार, सीएम खट्टर बोले-MSP पर कानून संभव नहीं

किसान 29 नवंबर को संसद कूच करने की योजना बना चुके हैं। हालांकि आज की बैठक में इसपर भी तय होगा कि क्या किसान ट्रैक्टर से संसद कूच करेंगे या नहीं? वहीं कृषि कानूनों के अलावा अपनी अन्य मांगों पर अब दबाब बनाये जाने का प्रयास किया जाने लगा है।

Samyukt Kisan Morcha- India TV Hindi Image Source : PTI संयुक्त किसान मोर्चा की आज महत्वपूर्ण बैठकें, अंतिम रोड मैप होगा तैयार

Highlights

  • किसान एमएसपी पर कानून बनाने पर अपनी रणनीति बना सकते हैं।
  • जब तक एमएसपी पर कानूनी गारंटी नहीं दी जाती, तब तक दिल्ली की घेराबंदी जारी रहेगी।

नई दिल्ली: तीनों कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद किसान अब भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। किसान जाने के बजाए अब आगे की रूप रेखा तैयार करने लगे हैं। लिहाजा संयुक्त किसान मोर्चा की आज 12 बजे एक महत्वपूर्ण बैठक है जिसमें आगे का रोड मैप तैयार होगा। जानकारी के अनुसार, सिंघु बॉर्डर स्थित कजारिया टाइल्स स्थित जगह पर दो बैठकें होंगी, जिसमें पहली 11 बजे 9 सदस्यीय समिति भाग लेगी। इसमें डॉ. दर्शनपाल सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, योगेंद्र यादव, जगजीत सिंह ढल्लेवाल, हन्नान मोला, जोगिंद्र सिंह उगराहां, शिवकुमार कक्का व युद्धवीर सिंह शामिल हैं। इस बीच हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने पीएम से मुलाकात के बाद कहा कि एमएसपी पर कानून बनाना संभव नहीं है।

इस बैठक के होने के तुरंत बाद ही संयुक्त मोर्चा की बैठक होगी जिसमें सभी संगठनों के प्रमुखों को आने के लिए कहा गया है। इस बैठक में किसान एमएसपी पर कानून बनाने पर अपनी रणनीति बना सकते हैं। क्योंकि किसान साफ कर चुके हैं कि जब तक एमएसपी पर कानूनी गारंटी नहीं दी जाती, तब तक दिल्ली की घेराबंदी जारी रहेगी।

वहीं किसान एमएसपी कानून के बाद आंदोलन में जान गंवाने वालों को मुआवजा और आंदोलन के दौरान दर्ज हुए किसानों पर मुकदमे रद्द करने की मांग कर रहें हैं।

दरअसल किसान 29 नवंबर को संसद कूच करने की योजना बना चुके हैं। हालांकि आज की बैठक में इसपर भी तय होगा कि क्या किसान ट्रैक्टर से संसद कूच करेंगे या नहीं ? वहीं कृषि कानूनों के अलावा अपनी अन्य मांगों पर अब दबाब बनाये जाने का प्रयास किया जाने लगा है।

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