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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'सरकार अवैधता को कानूनी रूप दे रही है, कारोबारी दिल्ली को बंधक बना रहे हैं'

'सरकार अवैधता को कानूनी रूप दे रही है, कारोबारी दिल्ली को बंधक बना रहे हैं'

‘‘ अवैधता को स्थाई बना दिया गया है और अब इसे कानूनी आवरण पहनाया जा रहा है। यह बर्बादी है।’’

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नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों को अभी तक संरक्षण प्रदान करके अवैधता को कानूनी रूप देने के लिये और अब सीलिंग के खिलाफ आन्दोलन कर रहे कारोबारियों द्वारा दिल्ली को बंधक बनाने की छूट देने के लिये सरकार को आज आड़े हाथ लिया। शीर्ष अदालत ने कारोबारियों द्वारा विरोध प्रदर्शन और धरने किये जाने पर कड़ी नाराजगी प्रकट करते हुये केन्द्र सरकार को आड़े हाथ लिया। जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने इस रवैये पर नाराजगी व्यक्त करते हुये कहा, ‘‘ ये लोग कह रहे हैं कि हमने कुछ गैरकानूनी किया है परंतु कृपया हमें बचायें। कारोबारियों के धरने उनके अपराध की स्वीकरोक्ति हैं। निर्दोष लोग धरना नहीं देते हैं। इसीलिये वे धरना दे रहे हैं। इससे अधिक मनमाना और क्या हो सकता है।’’ पीठ ने कहा, ‘‘ अवैधता को स्थाई बना दिया गया है और अब इसे कानूनी आवरण पहनाया जा रहा है। यह बर्बादी है।’’

कोर्ट ने अवैध निर्माणों को संरक्षण देने के सरकार के रवैये की तीखी आलोचना करते हुये कहा कि यह तो पूरे देश को यह कहने जैसा हुआ कि जो चाहो वह करो। पीठ ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से कहा कि‘‘ आपको यह महसूस करना होगा कि दिल्ली के लोग महत्वपूर्ण हैं, चाहें आप दिल्ली विकास प्राधिकरण हों, सरकार हों या दिल्ली नगर निगम अथवा कोई अन्य एजेन्सी ही क्यों नहीं हों।’’ न्यायालय ने कहा कि दिल्ली में अंधाधुध अतिक्रमण हो रहा है और अनधिकृत कालोनियों में कोई हरित क्षेत्र, सीवर, गंदे पानी की निकासी की व्यवस्था और पार्किंग की सुविधा नहीं है और निर्दोष नागरिक इस सबकी वजह से बेहाल है।

पीठ ने कहा, ‘‘ दिल्ली में आठ से दस लाख कारोबारी होंगे। उन्हें बचाने के लिये आप186 लाख की आबादी को बंधक बना रहे हैं। ऐसा नहीं हो सकता। गाजीपुर और भलस्वा में80 मीटर ऊंचे कचरे के पहाड़ हैं। आपके यहां पानी का संकट है। आप यातायात की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं, प्रदूषण की वजह से सांस लेने की गंभीर समस्या है।’’ नाडकर्णी ने कहा कि कारोबारियों द्वारा धरना देना सही नहीं है लेकिन केन्द्र सरकार खलनायक बन गई है। उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित ही केन्द्र सरकार खलनायक बन गयी है। ऐसा नहीं है कि केन्द्र सरकार को ही दोषी ठहराया जायेगा। यह तो पूरी व्यवस्था की विफलता है।’’ इस पर पीठ ने कहा कि सरकार को कठोर संदेश देना है और कानून व्यवस्था बनाये रखनी होगी।

पीठ ने कहा, ‘‘ संस्कृति और विरासत गायब हो जायेगी। यदि ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य के लिये कुछ भी नहीं बचेगा। इस स्थिति से निबटने के लिये पिछले दस साल में सरकार ने कुछ नहीं किया है।’’ पीठ ने सवाल किया, ‘‘ क्या आपके पास कोई योजना है या आप इन कारोबारियों को शहर को बंधक बनाये रखने देना चाहते हैं।’’न्यायालय ने केन्द्र से जानना चाहा कि वाणिज्यिक गतिविधियों के लिये अवैध निर्माण के बारे में उसकी क्या योजना है और कहा कि जिन लोगों ने गैरकानूनी काम किया है उन्हें सिर्फ इसलिए संरक्षण नहीं दिया जा सकता कि उन्होंने इसमें धन का निवेश किया है।

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