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SC का फैसला: अब रिजर्वेशन वालों को नहीं मिलेगी जनरल कोटे में नौकरी

सुप्रीम कोर्ट का रिजर्वेशन पाने वाले लोगों को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया। इस फैसले के अनुसार केवल आरक्षित कैटेगरी पर ही सरकारी नौकरी मिलेगी। सीट नहीं है, तो उन्हें जनरल कोटा नहीं दिया जाएगा।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट का रिजर्वेशन पाने वाले लोगों को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया। इस फैसले के अनुसार केवल आरक्षित कैटेगरी पर ही सरकारी नौकरी मिलेगी। सीट नहीं है, तो उन्हें जनरल कोटा नहीं दिया जाएगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, चाहे उसने सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक क्यों न हासिल किए हों। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की बेंच ने एक पिटीशन का निपटारा करते हुए यह फैसला दिया।

SC ने दिया नियम का हवाला
SC ने कहा कि डीओपीटी की 1 जुलाई 1999 की कार्यवाही के नियम तथा ओएम में साफ है SC/ST और OBC के उम्मीदवार को, जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं, उन्हें आरक्षित वर्ग में समायोजित नहीं किया जाएगा।

उसी तरह जब SC/ST और OBC उम्मीदवारों के लिए छूट के मानक जैसे उम्रसीमा, अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, लिखित परीक्षा के लिए अधिक अवसर दिए गए हों तो उन्हें आरक्षित रिक्तियों के लिए ही विचारित किया जाएगा। ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित रिक्तियों के लिए अनुपलब्ध माने जाएंगे।

इस कारण कोर्ट ने लिया ये फैसला
कोर्ट ने यह व्यवस्था आरक्षित कोटे में नौकरी पाने में नाकाम एक महिला उम्मीदवार की पिटीशन पर फैसला सुनाते हुए दी। महिला ने जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट से ज्यादा मार्क्स लेने के आधार पर नौकरी दिए जाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि पिटीशनर ने एज लिमिट में छूट लेकर ओबीसी की रिजर्व्ड कैटेगरी में अप्लाई किया था। उसने इंटरव्यू भी ओबीसी कैटेगरी में ही दिया था। लिहाजा वह जनरल कैटेगरी में अप्वाइंटमेंट के अधिकार के लिए दावा नहीं कर सकती।

ये था मामला
दीपा पीवी ने वाणिज्य मंत्रालय के अधीन भारतीय निर्यात निरीक्षण परिषद में लैब सहायक ग्रेड-2 के लिए ओबीसी श्रेणी में आवेदन किया था। इसके लिए हुई परीक्षा में उसने 82 अंक प्राप्त किए। ओबीसी श्रेणी में उसे लेकर 11 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। लेकिन इसी वर्ग में 93 अंक लाने वाली सेरेना जोसेफ को चुन लिया गया। जहां तक सामान्य वर्ग का सवाल था, वहां न्यूनतम कटऑफ अंक 70 थे। लेकिन कोई भी उम्मीदवार ये अंक नहीं ला पाया। दीपा ने इस श्रेणी में समायोजित करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया। इसके बाद दीपा सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।

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