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आज सुलझ सकता है सुप्रीम कोर्ट के जजों का विवाद, अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल ने जताया भरोसा

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज मीडिया के सामने आये थे और जस्टिस चेलामेश्वर ने प्रेस कॉंफ्रेस करके कई सवाल खड़े किये। पूरी प्रेस कॉंफ्रेस को जस्टिस चेलामेश्वर से संबोधित किया और बाकी जस्टिस उनकी बात से सहमति जताते रहे।

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों की प्रेस कॉंफ्रेस के बाद उठा तूफान आज थम सकता है। अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने आज विवाद सुलझने का भरोसा जताया है। उन्होंने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जज अपनी स्टेट्समैनशिप दिखाते हुए इस मामले को सुलझा लेंगे। बता दें कि कल जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मुलाकात की थी इसी के बाद अटार्नी जनरल का ये बड़ा बयान पीटीआई के जरिए सामने आया है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि चार जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस को टाला जा सकता था।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जज मीडिया के सामने आये थे और जस्टिस चेलामेश्वर ने प्रेस कॉंफ्रेस करके कई सवाल खड़े किये। पूरी प्रेस कॉंफ्रेस को जस्टिस चेलामेश्वर से संबोधित किया और बाकी जस्टिस उनकी बात से सहमति जताते रहे। जस्टिस चेलामेश्वर ने कहा, “ये किसी भी देश के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम है खासतौर से हमारे देश में। ये न्यायपालिका जैसी संस्था के इतिहास में भी असाधारण घटना है। हमें इस बात की जरा भी खुशी नहीं हो रही है कि हमें प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाने के लिए मजबूर होना पड़ा लेकिन पिछले कुछ महीने से सुप्रीम कोर्ट एडमिनिस्ट्रेशन में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पिछले कुछ महीनों के दौरान कई ऐसी बातें हुईं हैं, जो नहीं होनी चाहिए थी।”

सुप्रीम कोर्ट विवाद पर देश के पूर्व जजों की राय
इस प्रेस कॉंफ्रेस के बाद देश में हड़कंप मच गया। इस प्रेस कांफ्रेस को लेकर वार पलटवार होने लगे। देश के एक पूर्व चीफ जस्टिस व दो अन्य पूर्व जजों ने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ कार्यरत जजों द्वारा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के खिलाफ उठाई गई शिकायत को 'अभूतपूर्व' बताया और कहा कि जल्द ही पूर्ण अदालत की एक बैठक बुलाई जानी चाहिए। पूर्व चीफ जस्टिस के.जी.बालाकृष्णन ने मीडिया से कहा कि चार जजों ने जो किया, वह न तो उसके पक्ष में है और न खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, "जो भी कुछ घटित हो रहा है, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे बचा जाना चाहिए।"

‘जज विवाद लोकतंत्र के लिए खतरा, देश में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ’
कांग्रेस ने जजों की प्रेस कॉंफ्रेस को लेकर सरकार को घेरने की कोशिश की तो भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस विवाद में से फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि 4 जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस एक गंभीर मसला है और यह विवाद लोकतंत्र के लिए खतरा है। ऐसी घटना पहली बार हुई है। चार जजों ने सवाल पूछे हैं। जो सवाल उन्होंने उठाए हैं जरूरी सवाल हैं उन्हें ध्यान से देखा जाना चाहिए। जस्टिस लोया के केस की गंभीरता से जांच होनी चाहिए।

क्या है विवाद की जड़
उच्चतम न्यायालय के चार सर्वाधिक वरिष्ठ न्यायाधीशों ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा को जो पत्र लिखा था, उसमें बिना किसी तर्क के तरजीह वाली पीठ को चयनात्मक तरीके से मामले को आवंटित करने के बारे में सवाल उठाने के लिये आर पी लूथरा बनाम भारत सरकार के मामले का उल्लेख किया गया है। उस मामले में मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर का उल्लेख किया गया है। इस पत्र में कहा गया है, ‘‘सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन एवं अन्य बनाम भारत सरकार :(2016) 5 एससीसी 1: के अनुसार जब एमओपी पर इस अदालत की संविधान पीठ को फैसला सुनाना था तो यह समझना मुश्किल है कि कैसे कोई अन्य पीठ इस विषय पर सुनवाई कर सकती है।’’

यह पत्र तकरीबन दो महीने पहले चारों न्यायाधीशों ने प्रधान न्यायाधीश को लिखा था, लेकिन उसे आज मीडिया को जारी किया गया। उसमें सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एवं अन्य बनाम भारत सरकार (एनजेएसी मामला) में संविधान पीठ के फैसले का भी उल्लेख है जिसमें केंद्र से सीजेआई के साथ विचार-विमर्श करके नया एमओपी तैयार करने को कहा गया था।

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