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Hindi News भारत राष्ट्रीय उन्नाव मामला : अदालत ने एम्स में 11 सितम्बर से अस्थायी अदालत बनाने का निर्देश दिया

उन्नाव मामला : अदालत ने एम्स में 11 सितम्बर से अस्थायी अदालत बनाने का निर्देश दिया

दिल्ली की एक अदालत ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के बयान दर्ज करने के लिए एम्स में ‘बंद कमरे’ में 11 सितम्बर से कार्यवाही शुरू करने के लिए कई निर्देश दिए हैं।

AIIMS - India TV Hindi AIIMS File Photo

नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने उन्नाव बलात्कार पीड़िता के बयान दर्ज करने के लिए एम्स में ‘बंद कमरे’ में 11 सितम्बर से कार्यवाही शुरू करने के लिए कई निर्देश दिए हैं। भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा 2017 में पीड़िता से कथित तौर पर बलात्कार करने के आरोप हैं। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने एम्स के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में अस्थायी अदालत बनाने के निर्देश दिए जहां पीड़िता 28 जुलाई को हुए सड़क दुर्घटना के बाद फिलहाल भर्ती है। ‘बंद कमरे’ में कार्यवाही के दौरान वहां लोग एवं मीडियाकर्मी मौजूद नहीं होंगे। 

अदालत ने कहा कि गवाही की ऑडियो या वीडियो रिकॉर्डिंग नहीं होगी और चिकित्सा अधीक्षक से आग्रह किया कि सुनिश्चित करें कि सेमिनार हॉल में कार्यवाही के दौरान वहां लगे सीसीटीवी कैमरे बंद रहें। इसने अधिकारियों से कहा कि सुनिश्चित करें कि महिला आरोपी के आमने-सामने नहीं हो। अदालत ने कहा, ‘‘पीड़िता की गवाही की रिकॉर्डिंग बुधवार 11 सितम्बर से सुबह सवा दस बजे से शुरू होगी और जब तक गवाही पूरी नहीं होती तब तक रोजाना आधार पर यह कार्यवाही जारी रहेगी। सीबीआई के वरिष्ठ लोक अभियोजक और शिकायतकर्ता तथा बचाव पक्ष के वकील जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर एम्स नयी दिल्ली के प्रथम तल पर सुबह दस बजे तक पहुंच जाएंगे।’’ 

आरोप है कि सेंगर ने सह-आरोपी शशि सिंह के साथ षड्यंत्र कर 2017 में कथित तौर पर महिला का अपहरण किया और उससे बलात्कार किया। उस समय वह नाबालिग थी। अदालत ने शनिवार के आदेश में एम्स के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक को निर्देश दिया कि एक अनुभवी नर्सिंग अधिकारी को तैनात किया जाए जो पूरी कार्यवाही के दौरान बलात्कार पीड़िता की देखभाल के लिए सेमिनार हॉल में मौजूद रहेगी और उसका इलाज कर रहे चिकित्सकों के संपर्क में रहेगी और उन्हें उसकी चिकित्सकीय हालत की जानकारी देती रहेगी।

अदालत ने कहा, ‘‘आदेश दिया जाता है कि चिकित्सा अधीक्षक या उसका इलाज कर रहे चिकित्सक सेमिनार हॉल में गवाही के दौरान हर दिन सुबह दस बजे मौजूद रहेंगे और महिला की चिकित्सा स्थिति के बारे में बयान जारी करेंगे।’’ इसने कहा, ‘‘पीड़िता को स्ट्रेचर पर लाया जाएगा और सेमिनार हॉल में चबूतरे के दाहिनी तरफ रखा जाएगा ताकि वह अदालत को देख सके न कि दोनों पक्षों के वकीलों को। कार्यवाही बंद कमरे में होगी और इस अदालत की अनुमति के बगैर सेमिनार हॉल, अदालत में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी।’’ 

अदालत ने तिहाड़ के जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि दोनों आरोपियों को सुबह दस बजे सुनवाई स्थल पर लाने के लिए विशेष व्यवस्था की जाए। अदालत ने सीबीआई को निर्देश दिया कि सेमिनार हॉल की लॉबी में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए जाएं। अदालत ने कहा कि कंप्यूटर शाखा के टेक्नीशियन को बुधवार से अस्पताल की अस्थायी अदालत में पीड़िता की गवाही पूरी होने तक तैनात किया जाए। इसने आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता के वकील को सुनिश्चित करना चाहिए कि अदालत में एक से अधिक सहयोगी नहीं रहें जबकि बचाव पक्ष के प्रत्येक वकील के दो से अधिक सहायक नहीं हों और वे वकील वाले परिधान में नहीं रहें।

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