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Hindi News भारत राष्ट्रीय अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने सईद, अजहर के खिलाफ पाकिस्तान के कार्रवाई नहीं करने पर चिंता जताई: सूत्र

अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस ने सईद, अजहर के खिलाफ पाकिस्तान के कार्रवाई नहीं करने पर चिंता जताई: सूत्र

अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ऐसे कुछ प्रमुख देश हैं जिन्होंने पाकिस्तान के उसकी सरजमीं से आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहने और आतंकवादी सरगनाओं हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मामले दर्ज नहीं करने पर चिंता जतायी है।

US, UK, France voice concern at FATF meet over Pak inaction against Saeed, Azhar: Sources - India TV Hindi US, UK, France voice concern at FATF meet over Pak inaction against Saeed, Azhar: Sources 

नयी दिल्ली: अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ऐसे कुछ प्रमुख देश हैं जिन्होंने पाकिस्तान के उसकी सरजमीं से आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहने और आतंकवादी सरगनाओं हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ आतंकवाद निरोधक कानून के तहत मामले दर्ज नहीं करने पर चिंता जतायी है। यह जानकारी सूत्रों ने शुक्रवार को दी। इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार कई देशों ने अमेरिका के फ्लोरिडा में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की चल रही बैठक में ये विचार व्यक्त किये। 

पाकिस्तान लगातार यह कहता है कि उसने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए- मोहम्मद, जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) की 700 से अधिक सम्पत्तियां जब्त करके काफी कदम उठाया है, जैसा उसने 2012 में उसे ‘ग्रे’ सूची में डालने के परिणामस्वरूप भी किया था। हालांकि, एफएटीएफ के सदस्य आतंकवादी सरगनाओं मुख्य तौर पर सईद एवं मसूद और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित अन्य आतंकवादियों के खिलाफ कोई मामले दर्ज नहीं किये जाने को लेकर चिंतित हैं। एफएटीएफ के पूर्ण सत्र और अन्य संबंधित चर्चाओं में भारत का रुख पाकिस्तान को लेकर हमेशा एक जैसा रहा है। भारत ने फरवरी 2018 में चार देशों अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस के कदम का दृढ़तापूर्वक समर्थन किया था। 

सूत्रों ने बताया कि इन देशों ने इसको लेकर अपनी चिंता जतायी है कि पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवाद के वित्तपोषण पर काबू करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहा है। 
इन देशों ने जिन प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया है उनमें पाकिस्तान में सीमापारीय खतरे को लेकर उचित समझ की कमी यानी पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठनों से पड़ोसी और अन्य देशों को उत्पन्न खतरे का मामला शामिल है। फरवरी में पेरिस में और मई में गुआंगझोऊ में इन देशों ने इसी बिंदु को रेखांकित किया था जिसका भारत ने समर्थन किया था। अन्य गंभीर विसंगति यह है कि पाकिस्तान का आतंकवाद निरोधक कानून एफएटीएफ मानकों और संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम प्रस्ताव 2462 के अनुरूप नहीं है। संयुक्त राष्ट्र का उक्त प्रस्ताव आतंकवाद के वित्तपोषण को अपराध बनाने का आह्वान करता है। 

एफएटीएफ अपना सार्वजनिक बयान शुक्रवार रात में जारी करेगा। जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया गया था और एफएटीएफ ने उसे 27 बिंदु कार्य योजना दी थी। इस योजना की अक्तूबर 2018 में हुए पिछले पूर्ण सत्र में और दूसरी बार फरवरी में समीक्षा की गई थी। पाकिस्तान को फिर से तब ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया गया था जब भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों के बारे में नयी सूचना मुहैया करायी थी। 

एफएटीएफ पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में बनाये रखता है तो इसका मतलब है कि देश की आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी, यूरोपीय संघ द्वारा साख कम की जाएगी। इससे पाकिस्तान की वित्तीय समस्याएं और बढ़ेंगी। वित्तीय निगरानीकर्ता को धोखा देने के लिए पाकिस्तान प्राधिकारियों ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, जमात-उद-दावा और एफआईएफ सदस्यों की गिरफ्तारियां दिखायी हैं। यद्यपि इन सभी सदस्यों को आतंकवाद निरोधक कानून, 1997 के तहत नहीं बल्कि लोक व्यवस्था रखरखाव अधिनियम के तहत पकड़ा गया है। 

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