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Hindi News भारत राष्ट्रीय 42 फीट लंबी ब्रह्मोस मिसाइल होगी चीन बॉर्डर पर तैनात? सुप्रीम कोर्ट में सरकार के तर्क से चर्चा तेज

42 फीट लंबी ब्रह्मोस मिसाइल होगी चीन बॉर्डर पर तैनात? सुप्रीम कोर्ट में सरकार के तर्क से चर्चा तेज

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, “भगवान न करे अगर युद्ध छिड़ गया तो सेना इससे कैसे निपटेगी, अगर उसके पास हथियार नहीं हैं। हमें सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें तैयार रहना है। हमारे रक्षा मंत्री ने भारतीय सड़क कांग्रेस में भाग लिया था और कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की जरूरत है।”

<p>ब्रह्मोस मिसाइल</p>- India TV Hindi Image Source : DRDO ब्रह्मोस मिसाइल

नई दिल्ली। केंद्र ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर, भारी मशीनरी उत्तरी भारत-चीन सीमा तक नहीं ले जा सकती और अगर जंग छिड़ जाती है तो उस स्थिति में वह सीमा की सुरक्षा कैसे करेगी, लड़ेगी कैसे? चौड़ी चारधाम राजमार्ग परियोजना के निर्माण के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए, सरकार ने कहा कि आपदा को कम करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए गए हैं और कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में भूस्खलन हुआ है और विशेष रूप से सड़क निर्माण से ही ऐसा नहीं होता है।

रणनीतक रूप से महत्वपूर्ण 12,000 करोड़ रुपये की लागत वाली 900 किलोमीटर लंबी चारधाम परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में संपर्क के लिये तैयार करना है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने रक्षा मंत्रालय की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। मंत्रालय ने सड़क चौड़ीकरण को लेकर न्यायालय के पहले के आदेश और एक गैर सरकारी संगठन ‘सिटीजन फॉर ग्रीन दून’ की याचिका में संशोधन का अनुरोध किया है। न्यायालय ने उनसे क्षेत्र में भूस्खलन को कम करने के लिए उठाए गए कदमों और उठाए जाने वाले कदमों पर लिखित प्रस्तुतियां दर्ज कराने को कहा है।

केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, “ये दुर्गम इलाके हैं जहां सेना को भारी वाहन, मशीनरी, हथियार, मिसाइल, टैंक, सैनिकों और खाद्य आपूर्ति को लाने-लेजाने की आवश्यकता होती है। हमारी ब्रह्मोस मिसाइल 42 फीट लंबी है और इसके लॉन्चर ले जाने के लिए बड़े वाहनों की जरूरत है। अगर सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को उत्तरी चीन की सीमा तक नहीं ले जा सकती है, और अगर युद्ध होता है तो वह युद्ध कैसे लड़ेगी।”

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा, “भगवान न करे अगर युद्ध छिड़ गया तो सेना इससे कैसे निपटेगी, अगर उसके पास हथियार नहीं हैं। हमें सावधान और सतर्क रहना होगा। हमें तैयार रहना है। हमारे रक्षा मंत्री ने भारतीय सड़क कांग्रेस में भाग लिया था और कहा था कि सेना को आपदा प्रतिरोधी सड़कों की जरूरत है।” वेणुगोपाल ने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों में भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आकृति विज्ञान और मानव गतिविधियों सहित उपयुक्त अध्ययन किए गए हैं और ढलान स्थिरीकरण, वनीकरण, वैज्ञानिक कचरा निस्तारण जैसे कदम उठाए गए हैं।

उन्होंने कहा, “भूस्खलन देश में कहीं भी हो सकता है, यहां तक कि वहां भी जहां कोई सड़क गतिविधि नहीं है, लेकिन रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं। हमारी सड़कों को आपदा रोधी बनाने की जरूरत है। संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष सुरक्षा उपाय किए गए हैं, जहां बार-बार भूस्खलन होता है और भारी हिमपात सड़क को अवरुद्ध करता है।” शीर्ष विधि अधिकारी ने कहा कि भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) ने बर्फीले इलाकों में सड़कों के लिये डेढ़ मीटर अतिरिक्त चौड़ाई की सिफारिश की है ताकि उन इलाकों में वाहन चल सकें।

उन्होंने कहा, “सीमा की दूसरी तरफ केवल इन पहाड़ों के दर्रों के माध्यम से पहुंचा जा सकता है। चारधाम परियोजना की निगरानी कर रही उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) ने अपनी रिपोर्ट में सेना की इन चिंताओं का समाधान नहीं किया। एचपीसी की रिपोर्ट सेना की जरूरतों से कोसों दूर है।” उन्होंने कहा कि आज ऐसी स्थिति है जहां देश की रक्षा करने की जरूरत है और देश की रक्षा के लिए सभी उपलब्ध संसाधनों और बलों को एकजुट करने की जरूरत है। गैर सरकारी संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना को रोकना होगा। यह सैनिकों और लोगों के जीवन को खतरे में डालेगा क्योंकि ऐसा होने के लिए हिमालय में कुछ करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, “इन गतिविधियों की हिमालय द्वारा अनुमति नहीं दी जा सकती है। ये ईश्वर प्रदत्त प्रतिबंध हैं। यदि आप इसे जबरदस्ती करने की कोशिश करते हैं, तो पहाड़ इसे खारिज कर देंगे। रोकथाम के लिए कुछ कदम उठाए गए लेकिन वे सभी बेकार हो गए।” 

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