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अब कांग्रेस सांसद ने की 70 घंटे काम की वकालत, बोले- हफ्ते में सिर्फ 1 दिन की छुट्टी ही जरूरी

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने कहा था कि भारत के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद के जर्मनी और जापान का उदाहरण दिया था। उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई थी।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी। - India TV Hindi Image Source : X ( @MANISHTEWARI) कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी।

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति द्वारा भारत में लोगों को हफ्ते में 70 घंटे काम करने की बात कहने पर अब तक विवाद जारी है। कई लोग मूर्ति के समर्थन में तो बड़ी संख्या में लोग उनके विरोध में बयान दे रहे हैं। ऐसे समय में कांग्रेस नेता और पंजाब की श्री आनंदपुर साबिब सीट से सांसद मनीष तिवारी ने नारायण मूर्ति की बात का समर्थन किया है। इसके साथ ही उन्होंने कई ऐसी बातें कही हैं जिससे लोग और ज्यादा भड़क सकते हैं।

हम नहीं लेते रविवार की छुट्टी

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि वो नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम वाले बयान पर मचे हंगामे को समझ नहीं पा रहे हैं। इसमें गलत क्या है? मनीष तिवारी ने कहा कि हम में से कुछ  कुछ जन प्रतिनिधि सार्वजनिक सेवा के साथ करियर को संतुलित करते हुए सप्ताह के 7 दिन हर रोज 12-15 घंटे काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मुझे ये भी नहीं याद है कि मैंने आखिरी बार रविवार की छुट्टी कब ली थी। रविवार को भी निर्वाचन क्षेत्र में पूरे दिन काम होता है, चाहे आप निर्वाचित हों या अनिर्वाचित।

70 घंटे की कार्य नीति बनानी होगी

मनीष तिवारी ने आगे कहा कि यदि भारत को वास्तव में एक महान शक्ति बनना है तो एक या दो पीढ़ियों को सप्ताह में 70 घंटे काम को अपनी कार्य नीति बनानी होगी। उन्होंने कहा कि सप्ताह में 70 घंटे  काम, एक दिन की छुट्टी और एक वर्ष में 15 दिन की छुट्टियां नॉर्म बन जानी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि बशर्ते पर्याप्त काम होना भी जरूरी है। 

क्या बोले थे नारायण मूर्ति?

इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद के जर्मनी और जापान का उदाहरण देते हुए कहा था कि भारत के युवाओं को हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। उन्होंने कहा था कि  भारत की वर्क प्रोडक्टिविटी दुनिया के सबसे कम प्रोडक्टिविटी में से एक है। हम अपनी वर्क प्रोडक्टिविटी को सुधारे बिना, सरकार में करप्शन कम किए बिना (अगर है तो वैसे मुझे सच्चाई नहीं पता), प्रशासन द्वारा फैसले लेने में होने वाली देरी को कम किए बिना हम उन देशों को पीछे नहीं छोड़ सकते हैं जिसने खूब विकास किया है। हालांकि, इस बयान के बाद मूर्ति की काफी आलोचना भी हुई थी। 

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