देश को नफरत के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा: मौलाना महमूद मदनी
कर्नाटक विधानसभा में हेट स्पीच और नफरत से जुड़े अपराधों की रोकथाम के लिए कानून को मंजूरी मिल गई है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने इसका स्वागत किया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश को नफरत के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा।

नई दिल्ली: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कर्नाटक विधानसभा द्वारा हेट स्पीच और नफरत पर आधारित अपराधों की रोकथाम के लिए कानून की मंज़ूरी दिए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने भी बार-बार यह टिप्पणी की है कि देश में “नफरत का माहौल” बना हुआ है, जो समाज की शांति, भाईचारे और देश के लोकतांत्रिक ढांचे को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में कर्नाटक सरकार का यह कदम सामाजिक सद्भाव और भारतीय संविधान में निहित मूल्यों की रक्षा की दिशा में एक सकारात्मक और महत्वपूर्ण पहल है।
'जमीयत ने कई स्तरों पर किए प्रयास'
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीयत उलमा-ए-हिंद लंबे समय से नफरत फैलाने वाली गतिविधियों के विरुद्ध प्रभावी कानून बनाने की मांग करती आ रही है। इस संबंध में जमीयत ने अदालत के भीतर और बाहर कई स्तरों पर प्रयास किए हैं। नफरत के प्रसार को रोकने के लिए जमीयत ने बाकायदा एक अलग विभाग भी स्थापित किया है। उन्होंने याद दिलाया कि जमीयत उलमा-ए-हिंद की याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को तहसीन पूनावाला गाइडलाइंस के प्रभावी क्रियान्वयन का निर्देश दिया था।
'कर्नाटक सरकार की पहल आशा की किरण'
उन्होंने आगे कहा कि अप्रैल 2023 में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से यह कहा था कि घृणास्पद भाषण के विरुद्ध कार्रवाई करना राज्य मशीनरी की संवैधानिक जिम्मेदारी है और इसके लिए किसी औपचारिक शिकायत का इंतजार नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। दुर्भाग्यवश, अधिकतर राज्यों ने अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ऐसी स्थिति में कर्नाटक सरकार की यह पहल आशा की एक किरण है।
'कानून का गहराई से अध्ययन किया जाए'
मौलाना मदनी ने इस बात पर भी जोर दिया कि नफरत और हिंसा के खिलाफ किसी भी कानून की सफलता केवल उसके अस्तित्व पर निर्भर नहीं करती, बल्कि उसके निष्पक्ष, पारदर्शी और गैर-भेदभावपूर्ण क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। इसलिए आवश्यक है कि इस कानून का गहराई से अध्ययन किया जाए और इसकी परिभाषाओं में यदि कोई अस्पष्टता हो तो उसे दूर किया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी सरकार इसका दुरुपयोग अल्पसंख्यकों या कमजोर वर्गों के खिलाफ हथियार के रूप में न कर सके।
अन्य राज्य सरकारों से भी अपील
मौलाना महमूद मदनी ने इस संकल्प को दोहराया कि जमीयत उलमा-ए-हिंद देश भर में शांति, भाईचारे और संविधान की सर्वोच्चता के लिए अपनी संघर्षपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी। साथ ही उन्होंने सभी राज्य सरकारों से अपील की कि वे सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप घृणास्पद भाषण और नफरत पर आधारित अपराधों के खिलाफ प्रभावी कानून बनाएं, ताकि समाज में ज़हर घोलने वालों को जवाबदेह ठहराया जा सके।