A
Hindi News भारत राष्ट्रीय COVID-19: 'अगर सरकार वक्त रहते सावधान हो जाती और तैयारी करती तो कोरोना वायरस की दूसरी लहर में इतना नुकसान न होता' - स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति

COVID-19: 'अगर सरकार वक्त रहते सावधान हो जाती और तैयारी करती तो कोरोना वायरस की दूसरी लहर में इतना नुकसान न होता' - स्वास्थ्य मामलों की संसदीय समिति

COVID-19: समिति ने पाया कि भारत दुनिया में कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल रहा। देश की विशाल आबादी के कारण महामारी के दौरान बड़ी चुनौती पेश आई। समिति ने कहा कि लचर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी के कारण देश में जबरदस्त दबाव देखा गया।

COVID-19 - India TV Hindi Image Source : PTI COVID-19

Highlights

  • 'कई राज्य स्थितियों से निपटने में असमर्थ रहे'
  • 'विशाल आबादी के कारण महामारी के दौरान बड़ी चुनौती पेश आई'
  • 'स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सतर्कता बनाए रखने का दिया था निर्देश'

COVID-19: कोरोना की दूसरी लहर के दरान लाखों लोगों की जान गई थी। देश में दवाओं, अस्पतालों में बेड और आक्सीजन का भयानक अकाल हो गया था। हजारों लोगों ने अस्पताल के बाहर बेड के इंतजार में ही जान गंवा दी थी। दूसरी लहर के तांडव मचने के कई कारण बताये गए। अब इसी को लेकर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट आई हैव् जिस रिपोर्ट में सरकार और उसकी तैयरियों पर सवाल उहाये गए हैं।

समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान यदि रोकथाम रणनीतियों को समय पर लागू किया जाता तो अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी। इसके साथ ही समिति ने हालात की गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पाने के लिए सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि पहली लहर के बाद जब देश में कोविड-19 के मामलों में गिरावट दर्ज की गई, तब सरकार को देश में महामारी के दोबारा जोर पकड़ने के खतरे और इसके संभावित प्रकोप पर नजर रखने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए थे।

'कई राज्य स्थितियों से निपटने में असमर्थ रहे'

रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति इस बात से नाखुश है कि कई राज्य दूसरी लहर के दौरान उत्पन्न हुईं अनिश्चितताओं और आपात स्वास्थ्य स्थितियों से निपटने में असमर्थ रहे, जिसके चलते पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हुई।” समिति ने सोमवार को राज्यसभा में पेश 137वीं रिपोर्ट में कहा कि दूसरी लहर में निस्संदेह संक्रमण और मौत के बढ़ते मामलों में वृद्धि, अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तरों की कमी, दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों की आपूर्ति का अभाव, आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में व्यवधान, ऑक्सीजन सिलेंडर व दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी आदि देखी गई। रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति का विचार है कि यदि सरकार प्रारंभिक चरण में ही वायरस के अधिक संक्रामक स्वरूप की पहचान कर पाती और रोकथाम रणनीति को उपयुक्त रूप से लागू किया जाता तो नतीजे कम गंभीर होते तथा कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी।” 

Image Source : ptiCOVID-19

'विशाल आबादी के कारण महामारी के दौरान बड़ी चुनौती पेश आई'

समिति ने पाया कि भारत दुनिया में कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल रहा। देश की विशाल आबादी के कारण महामारी के दौरान बड़ी चुनौती पेश आई। समिति ने कहा कि लचर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी के कारण देश में जबरदस्त दबाव देखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार कोविड-19 महामारी और इसकी लहरों के संभावित जोखिम का सटीक अनुमान नहीं लगा पाई। समिति ने कहा कि पहली लहर के बाद जब देश में कोविड-19 के मामलों में गिरावट दर्ज की गई, तब सरकार को देश में महामारी के दोबारा जोर पकड़ने के खतरे और इसके संभावित प्रकोप पर नजर रखने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए थे। 

'स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सतर्कता बनाए रखने का दिया था निर्देश' 

समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सतर्कता बनाए रखने और अपने संबंधित क्षेत्रों में कोविड​-19 के दोबारा फैलने से उत्पन्न होने वाली किसी भी आपात स्थिति के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया था। संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को, खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘‘ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई मौत’’ के मामलों की राज्यों के समन्वय से लेखा-परीक्षा करने की सिफारिश की है, ताकि मृत्यु के मामलों का उचित दस्तावेजीकरण हो सके। उसने कहा कि वह सरकारी एजेंसी से अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही की उम्मीद करती है। समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह दुनिया के अन्य देशों से कोविड-19 की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए और अधिक अनुसंधान एवं अध्ययन करने तथा इसके लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को दंडित करने की अपील करे।

Latest India News