A
Hindi News भारत राष्ट्रीय हिंदू विवाह में 'कन्यादान' आवश्यक नहीं, 'सात फेरे' जरूरी हैं-हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

हिंदू विवाह में 'कन्यादान' आवश्यक नहीं, 'सात फेरे' जरूरी हैं-हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक मामले पर फैसला सुनाते हुए बड़ी बात कही है, कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत कन्यादान कोई जरूरी नहीं लेकिन सप्तपदी यानी सात फेरे जरूरी हैं।

high court decision- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ी बात कही है। हाई कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत विवाह संपन्न कराने के लिए 'कन्यादान' आवश्यक नहीं है, जबकि सप्तपदी यानी कि सात फेरे जरूरी हैं। उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक आशुतोष यादव द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि केवल 'सप्तपदी' (संस्कृत में 'सात फेरे' के लिए) ही विवाह का एक आवश्यक समारोह है, कन्यादान नहीं।

हाई कोर्ट ने कहा-सात फेरे हैं जरूरी

हाई कोर्ट ने एक शख्स आशुतोष यादव की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये फैसला दिया है। यादव, जिन्होंने अपने ससुराल वालों द्वारा दायर एक आपराधिक मामले को लड़ते हुए 6 मार्च को लखनऊ के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती दी थी, ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष कहा था कि अधिनियम के तहत उनकी शादी के लिए 'कन्यादान' समारोह अनिवार्य है, जो नहीं किया गया था। इस मामले को लेकर विवाद हुआ था। कोर्ट ने कहा कि इस अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक सिर्फ सप्तपदी ही ऐसी परंपरा है जो हिंदू विवाह को संपन्न करने के लिए आवश्यक है, कन्यादान नहीं।

ये था मामला, जिसपर कोर्ट ने सुनाया फैसला

यादव की पुनरीक्षण याचिका को खारिज करते हुए एचसी के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने कहा, " हिंदू विवाह अधिनियम 'सप्तपदी' यानी सात फेरे को विवाह में एक आवश्यक समारोह के रूप में प्रदान करता है... 'कन्यादान' किया गया था या नहीं, इस मामले में उचित निर्णय के लिए यह आवश्यक नहीं होगा।" 

वैवाहिक विवाद के संबंध में चल रहे एक आपराधिक मामले में दो गवाहों को पुन समन किए जाने की प्रार्थना की गई थी, जिसमें याचिकाकर्ता की प्रार्थना को अस्वीकार कर दिया गया था जिसे लेकर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट का रुख किया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि  उसकी पत्नी का कन्यादान हुआ था या नहीं यह स्थापित करने के लिए अभियोजन के लिये गवाह हैं जिसमें वादी भी शामिल है। उसका कहना था कि वादी को फिर से समन भेजा जाए।

Latest India News