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Hindi News भारत राष्ट्रीय हादसा या अमेरिकी साजिश? परमाणु बम बनाने का ऐलान किया फिर प्लेन क्रैश में हो गई मौत, नहीं मिले होमी भाभा समेत 117 लोग

हादसा या अमेरिकी साजिश? परमाणु बम बनाने का ऐलान किया फिर प्लेन क्रैश में हो गई मौत, नहीं मिले होमी भाभा समेत 117 लोग

फ्लाइट यूरोप की सबसे ऊंची मोंट ब्लांक पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गई। इस हादसे में 117 लोगों ने जान गंवा दी। इनमें एक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा भी थे। बाद में प्लेन क्रैश की वजह विमान के पायलटों और जिनेवा एयरपोर्ट के बीच मिसकम्युनिकेशन बताई गई।

डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा

भारत में कई महान वैज्ञानिक हुए जिन्होंने विश्व में हमारे देश का नाम रोशन किया। साथ ही भारत को एक ताकतवर देश बनने में अहम भूमिका निभाई। महान वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा उनमें से एक हैं। आज ही के दिन 24 जनवरी 1966 को भारत के महान वैज्ञानिक और देश के परमाणु प्रोग्राम के जनक होमी जहांगीर भाभा का प्लेन क्रैश में निधन हो गया था। 

भारतीय न्यूक्लियर प्रोग्राम के जनक के नाम से मशहूर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर 1909 को मुंबई में हुआ था। वे एक रईस पारसी परिवार से ताल्लुक रखते थे। बात 1965 की है। अपने निधन से तीन महीने पहले होमी जहांगीर भाभा ने ऑल इंडिया रोडियो को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि अगर मुझे छूट दी जाए तो 18 महीने में भारत के लिए परमाणु बम बनाकर दिखा सकता हूं।

हादसे में 117 लोगों ने गंवाई जान

इस इंटरव्यू के तीन महीने बाद 24 जनवरी 1966 को एयर इंडिया की कंचनजंघा नाम की फ्लाइट मुंबई से लंदन के लिए उड़ान भरी। यात्रा के दौरान फ्लाइट इटली और फ्रांस की सीमा पर स्थित यूरोप की सबसे ऊंची मोंट ब्लांक पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गई। इस हादसे में 117 लोगों ने जान गंवा दी। इनमें एक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा भी थे। बाद में प्लेन क्रैश की वजह विमान के पायलटों और जिनेवा एयरपोर्ट के बीच मिसकम्युनिकेशन बताई गई। हालांकि, इस विमान दुर्घटना में होमी भाभा की मौत को लेकर कई ऐसे खुलासे हुए, जिसने पूरे देश को चौंका दिया। 

56 साल की उम्र में भाभा की मौत

भाभा की महज 56 साल की उम्र में ही 24 जनवरी 1966 में मौत हो गई। यह दावा किया जाता है कि अगर अगर होमी जहांगीर भाभा की मौत प्लेन क्रैश में नहीं हुई, होती तो शायद भारत न्यूक्लियर विज्ञान के क्षेत्र में कहीं बड़ी उपलब्धि हासिल कर चुका होता। कई एक्सपर्ट तो यह भी मानते हैं कि भारत 1960 के दशक में ही न्यूक्लियर पावर से सम्पन्न राष्ट्र बन जाता। 

13 दिन पहले PM शास्त्री की मौत

होमी भाभा की मौत से 13 दिन पहले 11 जनवरी को देश के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में मृत्यु हो गई थी। पीएम बहादुर शास्त्री की मौत भी एक रहस्य बनकर रह गया। किसी ने कहा केजीबी का हाथ है तो किसी ने सीआईए का हाथ बताया।

मुंबई में की ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई

होमी जहांगीर भाभा ने मुंबई में ही अपनी स्कूली शिक्षा से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के कैअस कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से 1934 में उन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि हासिल की। फिजिक्स में उन्हें बहुत रुचि थी। वह बचपन से ही दुनिया के रहस्यों को जानने में दिलचस्पी रखते थे। अपने जिज्ञासु स्वभाव और लगन की वजह से वह आगे चलकर एक महान वैज्ञानिक बने।

CIA की साजिश का दावा

2008 में पब्लिश हुई एक किताब में इस प्लेन क्रैश को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की साजिश बताया गया। हालांकि, यह कभी साबित नहीं हो पाया, लेकिन इन आरोपों के बाद होमी भाभा की मौत का रहस्य और ज्यादा गहरा गया। कन्वर्सेशन विद द क्रो नाम की इस किताब के मुताबिक, भारत जैसे देश के परमाणु हथियार बनाने का ऐलान करने के बाद अमेरिका परेशान था। साल 1945 तक सिर्फ अमेरिका के पास ही परमाणु ताकत थी। हालांकि, अमेरिका की बादशाहत ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई और साल 1964 आने तक सोवियत यूनियन और चीन ने भी परमाणु परीक्षण कर लिया था। 

पर्वतारोही ने किया नया खुलासा

होमी भाभा की मौत से करीब 16 साल पहले साल 1950 में भी एयर इंडिया की फ्लाइट मोंट ब्लांक पर क्रैश हो गया था। उस हादसे में 48 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2017 में डैनियल रोश नाम के एक पर्वतारोही ने दावा किया था कि उसे क्रैश साइट के पास फ्लाइट के कुछ अवशेष मिले हैं। हालांकि, यह साफ नहीं था कि जो टुकड़ा मिले, वे साल 1950 के क्रैश वाले विमान के थे या साल 1966 वाले प्लेन क्रैश के, जिसमें होमी भाभा भी सवार थे। 

ऐसे में कहा जाता है कि जिस विमान दुर्घटना में उनकी मौत हुई थी वह जानबूझ कर कराया गया था। भारत के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अमेरिका को बहुत ज्यादा संदेह और आपत्ति थी, इसलिए अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने भाभा के विमान की दुर्घटना करवा दी, जिससे भारत का न्यूक्लियर प्रोग्राम आगे ना बढ़ सके। हालांकि, यह बात आज तक साबित नहीं किया जा सका है।

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