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Hindi News भारत राष्ट्रीय जनऔषधि केंद्रों को लेकर पीएम मोदी ने लाल किला से किया बड़ा ऐलान, बढ़ाई जाएगी इनकी संख्या

जनऔषधि केंद्रों को लेकर पीएम मोदी ने लाल किला से किया बड़ा ऐलान, बढ़ाई जाएगी इनकी संख्या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किला से अपने संबोधन के दौरान जन औषधि केंद्रों की चर्चा की और यह ऐलान किया कि इनकी संख्या बढ़ाई जाएगी।

पीएम मोदी- India TV Hindi Image Source : पीटीआई पीएम मोदी

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार 'जन औषधि केंद्रों' की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने के लक्ष्य को लेकर काम कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जन औषधि केंद्रों ने लोगों, विशेषकर मध्यम वर्ग को नई शक्ति दी है। प्रधानमंत्री ने कहा, "अगर किसी को मधुमेह हो जाता है, तो उसे करीब 3,000 रुपये मासिक खर्च करना पड़ता है। जिन दवाओं की कीमत 100 रुपये है, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से हम उन्हें 10 से 15 रुपये में उपलब्ध करा रहे हैं।" 

जन औषधि केंद्रों' की संख्या बढ़ाकर 25,000 करने की योजना

उन्होंने कहा कि अब सरकार की योजना 'जन औषधि केंद्रों' की संख्या 10,000 से बढ़ाकर 25,000 करने की है। सभी के लिए सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए 'जन औषधि केंद्र' स्थापित किए गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया हमारे 'वन सन, वन वर्ल्ड और वन ग्रीन' के दर्शन से जुड़ रही है। स्वास्थ्य के समावेशी विकास के लिए हमारा रुख 'वन अर्थ, वन हेल्थ' का है। जी20 के लिए भी हम 'वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर' के मंत्र को लेकर चल रहे हैं ।’’ 

कोरोना के दौरान दुनिया ने भारत का सामर्थ्य देखा

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के संकट के दौरान दुनिया ने भारत का सामर्थ्य देखा। उन्होंने कहा, ‘‘जब अन्य देशों की आपूर्ति श्रृंखला बाधित हुईं, तो हमने दुनिया की प्रगति सुनिश्चित करने के लिए मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की वकालत की थी।’’ मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने एक अलग आयुष विभाग की स्थापना की और अब दुनिया आयुष और योग पर ध्यान दे रही है। 

विश्व मित्र के रूप में उभरा भारत-पीएम मोदी

उन्होंने कहा, ''दुनिया अब हमारी प्रतिबद्धता के कारण हमें देख रही है।'' उन्होंने कहा कि भारत कोविड महामारी के बाद के समय में ''विश्व मित्र'' (दुनिया का मित्र) के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री ने कहा, "कोविड के बाद, भारत ने 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य सेवा' दृष्टिकोण की वकालत की। समस्याओं का समाधान केवल तभी किया जा सकता है जब मनुष्यों, जानवरों और पौधों को बीमारियों के संबंध में समान रूप से देखा जाए।’’ (इनपुट-भाषा)

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