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Hindi News भारत राष्ट्रीय भारत ने किया ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के अपडेटेड वर्जन का सफल परीक्षण, ओडिशा के बालासोर से इसे दागा गया

भारत ने किया ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के अपडेटेड वर्जन का सफल परीक्षण, ओडिशा के बालासोर से इसे दागा गया

भारत ने गुरुवार को सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के अपडेट वर्जन का सफल परीक्षण किया है। ओडिशा के बालासोर तट से इस इस मिसाइल को दागा गया। डिफेंस सूत्रों ने बताया कि इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है।

<p>ब्रह्मोस मिसाइल </p>- India TV Hindi Image Source : PHOTO: ANI ब्रह्मोस मिसाइल 

Highlights

  • इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई टेक्नोलॉजी का किया गया है उपयोग
  • इससे पहले 11 जनवरी को भारत ने सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के नए वेरिएंट का परीक्षण किया था
  • यह इस मिसाइल 350 से 400 किलोमीटर तक प्रहार करने की क्षमता रखती है

भारत ने गुरुवार को सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के अपडेटेड वर्जन का सफल परीक्षण किया है। ओडिशा के बालासोर तट से इस मिसाइल को दागा गया। डिफेंस सूत्रों ने बताया कि इस ब्रह्मोस मिसाइल में नई टेक्नोलॉजी का उपयोग किया गया है। यह मिसाइल नए तकनीक से पूरी तरह लैस थी, जिसका सफल परीक्षण किया गया। डीआरडीओ के अनुसार नियंत्रण प्रणाली सहित नई अतिरिक्त तकनीकों के साथ सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल का चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) लॉन्च पैड—3 से सुबह करीब 10.45 बजे परीक्षण किया गया। 

इससे पहले 11 जनवरी को भारत ने आधुनिक सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल के नए वेरिएंट का परीक्षण किया था। भारतीय नौसेना ने इसे गुप्त तरीके से निर्देशित मिसाइल विध्वंसक पोत में सफल परीक्षण किया था।. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने बताया कि मिसाइल ने निर्धारित लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा। यह इस मिसाइल 350 से 400 किलोमीटर तक प्रहार करने की क्षमता रखती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि मिसाइल के सफल प्रक्षेपण से भारतीय नौसेना की तैयारी और उसकी दृढ़ता स्पष्ट हुई है। उन्होंने ट्वीट कर भारतीय नौसेना और डीआरडीओ को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।

क्यों है इसका नाम ब्रह्मोस 

बता दें कि भारत-रूस का संयुक्त उपक्रम ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस' सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का उत्पादन करता है। ब्रह्मोस का नाम दो हमारे देश की ब्रह्मपुत्र नदी और रूस की मोस्‍कवा नदी से मिलकर बना है। यह दुनिया की सबसे तेज ऐंटी-शिप क्रूज मिसाइल मानी जाती है। इसे पनडुब्बियों, जलपोतों, विमान या भूतल पर स्थित प्लेटफॉर्मों से प्रक्षेपित किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 मैक या ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना रफ्तार से प्रक्षेपित हो सकती हैं। भारत ने रणनीतिक महत्व वाले अनेक स्थानों पर बड़ी संख्या में मूल ब्रह्मोस मिसाइलों आदि को तैनात कर रखा है।

समुद्र की गहराई से आसमान तक सब जगह भेदती है निशाना

सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल 'ब्रह्मोस' का पूरी दुनिया में डंका बजता है। जमीन, हवा, पानी या फिर समुद्र की गहराइयों से भी दुश्‍मन को निशाना बना लेती है। दो साल पहले, भारत ने ब्रह्मोस मिसाइलों को सीमा पर तैनात किया था तो पाकिस्‍तान की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री ने संयुक्‍त राष्‍ट्र तक को चिठ्ठी लिख डाली थी। इसी से अंदाजा लगाइए कि दुश्‍मन देश 'ब्रह्मोस' मिसाइल से आखिर क्‍यों घबराते हैं।

कब भरी थी ब्रह्मोस ने पहली टेस्‍ट उड़ान 

12 जून 2001 को मिसाइल ने अपनी पहली टेस्‍ट उड़ान भरी थी। इसे डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) और रूसी एजेंसी ने मिलकर तैयार क‍िया। DRDO ने ब्रह्मोस मिसाइल को उसकी 20वीं वर्षगांठ पर बधाई भी दी।

 

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