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Hindi News भारत राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 2022: 'शांत और समझदार बने रहें, दूसरों के प्रति दया की भावना बनाए रखे'

अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस 2022: 'शांत और समझदार बने रहें, दूसरों के प्रति दया की भावना बनाए रखे'

आज एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में दुनिया में इतनी उथल-पुथल मच चुकी है कि उसे देखते हुए अब सभी को लगने लगा है- ठहराव ज़रूरी है।

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Highlights

  • 20 मार्च 2013 में इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे मनाने की हुई शुरुआत
  • समाज सेवी 'जेमी इलियन' से मिली थे प्रेरणा
  • 20 मार्च 2013 में 'बान की मून' ने खुशी दिवस मनाने का किया ऐलान

साईं इतनी दीजिए, जा में कुटुंब समाए
मैं भी भूखा न रहूं, साधू न भूखा जाए

धीरे-धीरे रे मन, धीरे सब कुछ हो
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए

आज 20 मार्च को जब हम अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस इस थीम के साथ ( International Day of Happiness) 'शांत और समझदार बने रहें और दूसरों के प्रति दया की भावना बनाए रखे ( Keep Calm, Stay Wise and Be Kind) मना रहे हैं, तब कबीर दास जी के ये दोहे काफी प्रासंगिक लग रहे हैं । जो बात बहुत साल पहले कबीर कह गए आज दुनिया को इस पर चलने की जरूरत आ पड़ी है। आज एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में दुनिया में इतनी उथल-पुथल मच चुकी है कि उसे देखते हुए अब सभी को लगने लगा है- ठहराव ज़रूरी है। 

शांत रहें और उदार बनें  

पिछले दो साल से कोरोना का कहर झेल रही दुनिया के सामने अब एक नई समस्या खड़ी हो गई है। संसार का हर देश रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से चिंतित है। युद्ध खत्म होने के आसार बहुत आशाजनक नहीं हैं। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका भी कायम है। ऐसे में ज़रूरी है कि हम अपना धर्य रखें, शांत रहें और उदार बनें। हो सकता है कोई रास्ता निकल जाए।

20 मार्च 2013 में इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे मनाने की हुई शुरुआत 

इस दिवस को मनाने के पीछे मशहूर समाज सेवी 'जेमी इलियन' के प्रयास हैं। जिनके विचारों ने संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव 'जनरल बान की मून' को प्रेरित किया और 20 मार्च 2013 को अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस के रूप में मनाने के लिए ऐलान किया गया। इस दिन को मनाने के पीछे कारण है कि इससे लोगों के जीवन में खुशियों का महत्व बढ़ेगा। इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे को हर साल मनाने का रेजुलेशन 20 जुलाई 2012 में संयुक्त राष्ट्र से पास हुआ था। इसके बाद 2013 के 20 मार्च से यह हर साल सेलिब्रेट किया जाने लगा। 

 

खुशी के मूल्य को भूटान देता है महत्व

जहां हर देश खुशी के लिए आर्थिक विकास को ज्यादा महत्व देता है, वहीं भूटान ने 1970 के दशक से अपने राष्ट्रीय आय से ज्यादा राष्ट्रीय खुशी के मूल्य को अहमियत देता है। 66वीं महासभा में भूटान एक ऐसा देश माना गया जिसने राष्ट्रीय उत्पाद पर राष्ट्रीय खुशी के लक्ष्य को अपनाने को एहमियत दी। 

 

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