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Hindi News भारत राष्ट्रीय Anti Conversion Bill: कर्नाटक विधानसभा में धर्मांतरण रोधी विधेयक पारित, विपक्ष करता रह गया विरोध

Anti Conversion Bill: कर्नाटक विधानसभा में धर्मांतरण रोधी विधेयक पारित, विपक्ष करता रह गया विरोध

Anti Conversion Bill: कांग्रेस के विरोध और सदन से वॉकआउट के बीच, बुधवार को कर्नाटक विधानसभा ने कुछ मामूली संशोधन के साथ “धर्मांतरण रोधी विधेयक” पारित कर दिया। पिछले सप्ताह इस विधेयक को विधान परिषद ने पारित किया था।

Karnataka Assembly- India TV Hindi Image Source : PTI Karnataka Assembly

Anti Conversion Bill: कांग्रेस के विरोध और सदन से वॉकआउट के बीच, बुधवार को कर्नाटक विधानसभा ने कुछ मामूली संशोधन के साथ “धर्मांतरण रोधी विधेयक” पारित कर दिया। पिछले सप्ताह इस विधेयक को विधान परिषद ने पारित किया था। इसके साथ ही वह अध्यादेश वापस ले लिया गया जो इस विधेयक के पारित होने से पूर्व लाया गया था। राज्य सरकार ने विधेयक को प्रभावी बनाने के लिए मई में एक अध्यादेश लाया था, क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के पास उस दौरान बहुमत नहीं था और विधान परिषद में विधेयक लंबित था। अंततः 15 सितंबर को विधान परिषद ने विधेयक पारित किया।

गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने बुधवार को ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता अधिकार संरक्षण विधेयक 2022 को सदन में पेश किया। राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह विधेयक 17 मई 2022 से कानून का रूप ले लगा, क्योंकि इसी तारीख को अध्यादेश लागू किया गया था। विधानसभा में कांग्रेस के उप नेता यू टी खादर ने कहा कि सभी लोग बलपूर्वक धर्मांतरण के खिलाफ हैं, लेकिन इस विधेयक की मंशा ठीक नहीं है। उन्होंने कहा, “यह राजनीति से प्रेरित है, अवैध है और असंवैधानिक है। इसे अदालत में चुनौती दी जाएगी और अदालत इसे रद्द कर सकती है।”

कांग्रेस ने कहा इसके गलत इस्तेमाल की पूरी आशंका है

कांग्रेस के विधायक शिवानंद पाटिल ने कहा कि विधेयक के अनुसार धर्मांतरण करने वाले का रक्त संबंधी शिकायत दर्ज करा सकता है और इसके गलत इस्तेमाल की पूरी आशंका है। ज्ञानेंद्र ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि विधेयक के गलत इस्तेमाल या भ्रम की कोई आशंका नहीं है और यह किसी भी तरह धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि विधेयक संविधान के अनुरूप है और विधि आयोग द्वारा इस तरह के विभिन्न कानूनों का अध्ययन करने के बाद धर्मांतरण रोधी विधेयक लाया गया।

ईसाई समुदाय का एक वर्ग इसका विरोध कर रहा है 

ईसाई समुदाय के एक वर्ग और अन्य लोगों द्वारा इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। विधेयक में गलत व्याख्या, बलात, किसी के प्रभाव में आकर, दबाव, प्रलोभन या किसी अन्य गलत तरीके से धर्मांतरण करने पर सजा का प्रावधान है। इसके तहत दोष सिद्ध होने पर तीन से पांच साल की सजा और 25 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। इसके अलावा पीड़ित पक्ष अगर नाबालिग, महिला, अनुसूचित जाति या जनजाति का हुआ तो तीन से दस साल की सजा और 50 हजार रुपये या उससे अधिक जुर्माने का प्रावधान है।

विधेयक के अनुसार, दोष सिद्ध होने पर आरोपी को धर्मांतरित व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक मुआवजा देना पड़ सकता है। सामूहिक स्तर पर धर्मांतरण कराने पर तीन से 10 साल जेल की सजा और एक लाख रुपये तक जुर्माना अदा करना पड़ सकता है। विधेयक के अनुसार, अवैध रूप से धर्मांतरण करवाने के उद्देश्य से की गई शादी को पारिवारिक अदालत द्वारा रद्द किया जा सकता है।

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