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Hindi News भारत राष्ट्रीय Parliament News: ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के प्रचार की जगह बेटियों से जुड़े कामों पर ध्यान दे सरकार: संसद समिति

Parliament News: ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के प्रचार की जगह बेटियों से जुड़े कामों पर ध्यान दे सरकार: संसद समिति

Parliament News: ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत वर्ष 2016-19 के दौरान जारी 446.72 करोड़ रूपये की करीब 78 प्रतिशत राशि मीडिया प्रचार पर खर्च होने के मद्देनजर संसद की एक समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि विज्ञापन पर होने वाले इस खर्च पर पुन: विचार किया जाना चाहिए।

Beti Bachao Beti Padhao scheme- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Beti Bachao Beti Padhao scheme

Highlights

  • सरकार ने 2016-19 के दौरानलगभग 400 करोड़ रूपये योजना के प्रचार पर खर्चे
  • 446.72 करोड़ रूपये के कुल बजट का 78 प्रतिशत हिस्सा प्रचार-प्रसार में ही खर्च
  • प्रचार की जगह बेटियों से जुड़े कामों पर ध्यान दे सरकार - संसदीय समिति

Parliament News: सरकार की बहुप्रचारित योजना 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना एक बार अपने प्रचार को लेकर फिर चर्चा में आ गई है। कुछ समय पहले एक रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्र सरकार ने इस योजना पर केवल प्रचार में ही लगभग कुल बजट का 78 प्रतिशत हिस्सा खर्च कर दिया था। अब संसद की एक समिति ने इस पर खर्च घटाने का सुझाव दिया है।  

‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत वर्ष 2016-19 के दौरान जारी 446.72 करोड़ रूपये की करीब 78 प्रतिशत राशि मीडिया प्रचार पर खर्च होने के मद्देनजर संसद की एक समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि विज्ञापन पर होने वाले इस खर्च पर पुन: विचार किया जाना चाहिए। संसद में बृहस्पतिवार को पेश भारतीय जनता पार्टी सांसद हिना गावित की अध्यक्षता वाली महिलाओं को शक्तियां प्रदान करने संबंधी संसदीय समिति ने ‘‘ ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के विशेष संदर्भ के साथ शिक्षा के माध्यम से महिलाओं का सशक्तीकरण’’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में यह बात कही गई है। 

प्रचार की जगह इन कामों पर ध्यान दे सरकार 

समिति ने कहा कि सरकार को इसकी बजाय शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं के विभिन्न क्षेत्रों में योजनाबद्ध आवंटन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। समिति ने अपने पांचवें प्रतिवेदन में सरकारी स्कूलों में छात्राओं के लिये शत-प्रतिशत पृथक शौचालयों के जरिये समय-सीमा को अंतिम रूप देने, सैनिटरी नैपकिन के स्वच्छ निपटान के लिये बालिका शौचालयों में इंसीनरेटर मशीन लगाने, शौचालयों में पानी की नियमित आपूर्ति और नियमित निरीक्षण की सिफारिश की थी। 

सरकार द्वारा की गई कार्रवाई के उत्तर से समिति ने यह संज्ञान लिया है कि सरकार के जवाब सिफारिशों को लागू करने की उसकी गंभीरता को दर्शाते हैं। हालांकि, उसे पर्याप्त आंकड़े नहीं मिलते हैं जो जमीनी स्तर पर वास्तविक परिवर्तन दिखाएं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि समिति द्वारा की गई सिफारिशें छात्राओं की स्वच्छता और गरिमा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है, इसलिये समिति यह दोहराती है कि मंत्रालय सरकारी स्कूलों में पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने वाले 100 प्रतिशत पृथक कामकाजी शौचालयों के निर्माण और बालिकाओं के शौचालयों के लिये इंसीनरेटर्स की स्थापना के लिये एक समयबद्ध कार्य योजना तैयार करे।

इसमें कहा गया है कि मंत्रालय द्वारा 5.2 लाख बालिका शौचालयों के निर्माण की सूचना दी गई है। इन विवरणों में माध्यमिक शिक्षा प्रदान करने वाले स्कूलों के लिये निर्धारित लक्ष्यों की तुलना में वास्तविक निर्माण शामिल होना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, समिति संसद में प्रतिवेदन प्रस्तुत किये जाने के तीन महीने के भीतर इस संबंध में स्थिति रिपोर्ट से अवगत होना चाहेगी।

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